Lok Sabha Election: इस हाॅट सीट से चुनाव लड़ेंगे अर्जुन मुंडा, गुटबाजी में उलझी BJP, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

Jharkhand News: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट की नजरों पर सबकी नजरें टिकी हैं। कांग्रेस और भाजपा में इस हॉट सीट पर कड़ी टक्कर होना संभावित है।
Arjun Munda
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रांची, हि.स.। अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित खूंटी संसदीय सीट लोकसभा चुनाव में झारखंड की सबसे हाॅट सीट बन गई है। यहां से जनजातीय मामलों और कृषि एवं किसान मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर लग गई है। राजनीति के जानकारों का मानना है अर्जुन मुंडा के खिलाफ संभवतः काली चरण मुंडा ही विपक्ष के उम्मीदवार होंगे।

400 पार कैसे करेगी भाजपा?

2019 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हीं दोनों राजनीतिक योद्धाओं के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था और अर्जुन मुंडा 1445 वोटों के अंतर से बाजी मार ले गये थे। हर ओर एक ही चर्चा है कि क्या भाजपा अपनी परंपरागत सीट को बचा पाएगी या कांग्रेस की हार का सिलसिला टूटेगा। आनेवाला लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही चुनाव देश की दशा और दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार 400 पार का नारा देकर पार्टी के समक्ष एक लंबी लकीर खींच दी है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाहती। इसके लिए पार्टी स्तर से हर संभव प्रयास शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन भाजपा में व्याप्त गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है।

गुटबाजी की आ रहीं खबरें

एक ओर पद्मभूषण कड़िया मुंडा का वरदहस्त प्राप्त केंद्रीय मंत्री का गुट है, तो दूसरी ओर वर्तमान विधायक और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का गुट है। इसके कारण कार्यकर्ताओं में हमेशा ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है। भाजपा की गुटबाजी उस समय भी सामने आ गई, जब पार्टी प्रत्याशी घोषित करने के बाद गत बुधवार को जब पहली बार अर्जुन मुंडा संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय खूंटी पहुंचे, लेकिन उनकी अगवानी और स्वागत के लिए परिसदन में भाजपा जिला कमेटी की ओर से सिर्फ जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता और वैसे कार्यकर्ता ही नजर आए, जो अमूमन अर्जुन मुंडा के हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं। प्रत्याशी घोषित होने के बाद खूंटी पहुंचने पर अर्जुन मुंडा की अगवानी के लिए विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के समर्थक भाजपा संगठन से जुड़ा कोई भी नेता-कार्यकर्ता परिसदन में नजर नहीं आया।

मतदाताओं पर नहीं पड़ेगा असर

भाजपा नेताओं में व्याप्त गुटबाजी के बारे में पार्टी समर्थकों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर उत्पन्न इस गुटबाजी का मतदाताओं में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा समर्थक यहां के मतदाता हमेशा से केंद्रीय नेताओं के प्रभाव में अपना मत का प्रयोग करते रहे हैं, लेकिन फिर भी इस गुटबाजी का कहीं ना कहीं थोड़ा बहुत असर पड़ने की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में गुटबाजी को पाटने के लिए भाजपा नेताओं के उदासीन रवैये पर भी सवाल उठने लगे हैं।

अर्जुन मुंडा की बढ़ती मुश्किलें

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी में गुटबाजी की चर्चा जारों पर थी। भाजपा की प्रचंड लहर के बाद भी अर्जुन मुंडा हरत-हारते 1445 मतों से जीत गये। उस समय भी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा पर अपने सगे भाई और कांग्रेस प्रत्याशी को अप्रत्यक्ष समर्थन देने के आरोप लगे थे। अर्जुन मुंडा को खरसावां और तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी की तुलना में अच्छी खासी बढ़त मिल गई और वे किसी प्रकार चुनाव जीत गए, अन्यथा 6 में से 4 विधानसभा क्षेत्रों सिमडेगा, कोलेबिरा, तोरपा और खूंटी में तो कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी से अच्छी खासी बढ़त हासिल कर जीत की दहलीज पर पहुंच गए थे। हालांकि विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने अपने ऊपर उठे सवाल का हर मंच पर पुरजोर खंडन किया था। उसके बावजूद सांसद और विधायक समर्थकों की गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है और इसका असर आसन्न लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है।

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