निजी स्कूलों की समस्याओं को लेकर पासवा का प्रांतीय सम्मेलन

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रांची, 18 मार्च (हि.स.)। प्राइवेट स्कूल्स एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) की राज्य इकाई का प्रांतीय सम्मेलन गुरुवार को हिनू स्थित शिवानी इंटरनेशनल होटल में हुआ। इसका उद्घाटन पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद, राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख और पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने संयुक्त रूप से किया। सम्मेलन में निजी स्कूलों की समस्या की ओर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया। सम्मेलन में रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और कृषि मंत्री ने निजी स्कूल संचालकों, छात्र-छात्राओं और अभिभावकों की समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया। रामेश्वर उरांव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर का खतरा उत्पन्न हुआ है। ऐसे में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। सरकार भी हर पहलुओं को ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठा रही है। कोरोना संक्रमणकाल में निजी स्कूलों का टैक्स और बिजली बिल माफ करने के संबंध में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में उरांव ने कहा कि इस संबंध में सरकार विचार-विमर्श के बाद फैसला करेगी। उन्होंने निजी स्कूल संचालकों की अन्य समस्याओं के समाधान का भी भरोसा दिलाया। बन्ना गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण की स्थिति पर सरकार पूरी तरह से नजर बनाये हुए हैं। यही कारण है कि आठवीं से नीचे के कक्षा में अभी पढ़ाई नहीं शुरू की गयी है। कोरोना संक्रमण काल में करीब 13 महीने से नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के बंद स्कूलों को खोलने के संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्तर पर इस संबंध में नीतिगत निर्णय किया जाएगा, लेकिन वे निजी स्कूल संचालकों से भी सहयोग की अपेक्षा रखते है। उन्होंने निजी स्कूल संचालकों से अपील की कि वे कोरोना संक्रमण काल में प्रभावित अभिभावकों को राहत दें। पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने कहा कि कोरोना संक्रमणकाल में देशभर में निजी स्कूल संचालकों को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों से सहयोग की अपेक्षा है। देश के सभी राज्यों में शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में लागू हुआ, लेकिन भाजपा सरकार ने 2019 में झारखंड में एक साजिश के तहत इस कानून को खत्म करने की साजिश रची गई। इससे देशभर में संचालित निजी स्कूलों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि वर्ष 2009 में लागू शिक्षा के अधिकार कानून को ही शत-प्रतिशत तरीके से झारखंड में लागू किया जाए। पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि करीब 14 महीने से नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई बंद है। कुछ स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था जरूर की गयी है, लेकिन इस दौरान छोटे बच्चों की पढ़ाई जहां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। वहीं, निजी स्कूल संचालकों के समक्ष भी गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। ऐसे में सशर्त निजी स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि राज्य में संचालित करीब 20 हजार से अधिक निजी स्कूल के संचालकों, शिक्षक-शिक्षिकाओं, कर्मचारियों के साथ इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों की कठिनाई दूर हो सके। हिन्दुस्थान समाचार/ कृष्ण/चंद्र

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