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जच्चा-बच्चा की मौत ने ग्रामीण इलाकों में अव्यवस्थाओं की खोली पोल

गिरिडीह, 28 फरवरी (हि.स.)। जिले के गांवा तिसरी इलाके में बीते शुक्रवार को जच्चा-बच्चा की हुई मौत ने ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं की पोल खोल दी है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का मानना है कि समय से इलाज नहीं मिलने के करण यह घटना घटी। वहीं, पीड़ित परिवार ने ग्रामीण क्षेत्रों में अव्यवस्था को मौत की वजह मान रहा है। घटना के तीसरे दिन रविवार को भी मृतका के घर में सदमे की वजह से चुल्हा नहीं जला। उल्लेखनीय है कि बीते शुक्रवार को इलाके के लक्ष्मीबथान गांव की गर्भवती महिला सुरजी मरांडी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन उसे खाट पर सुलाकर गांवा स्वास्थ केन्द्र के लिए चल पड़े। आठ किलोमीटर जंगल का रास्ता तय करने पर नवजात के रोने के स्वर सुनायी दिये। बताया गया है कि इस बीच गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद परिजनों ने नंगे पांव पैदल चलकर पांच किलोमीटर का रास्ता तय किया और किसी तरह गॉवा स्वास्थ केन्द्र पहुंचे। इस दौरान महिला की हालत और नाजुक हो गई। दुर्भाग्यवश स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर उपस्थित नहीं थे। नतीजन समय पर इलाज नहीं मिला और जच्चा-बच्चा ने दम तोड़ दिया। झारखंड विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कहना है कि इस घटना ने स्वास्थ्य महकमे के उन दावों को झुठला दिया है, जिसमें कहा जाता रहा है कि सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी गरीबों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हैं। पत्नी और नवजात को खो चुके सुनील मरांडी ने कहा कि अगर उनके गांव की सड़क अच्छी होती तो पत्नी और बच्चे की असमय मौत नहीं होती। मृतका के ससुर चुड़का किस्कु ने घटना पर आंसू बहाते हुए शासन-प्रशासन से प्रार्थना की है कि भविष्य में किसी के घर ऐसा हादसा न हो, सरकार इस पर विचार करे। हालांकि, घटना के बाद अब शासन-प्रशासन के जिम्मेदारों ने गांव का दौरा कर मूलभूत सुविधाओं को लेकर कागजाती प्रक्रियायें शुरू की हैं। हिन्दुस्थान समाचार / कमलनयन/चंद्र

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