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संक्रमण के दौरान एकांतवास में रहने का देता भगवान जगन्नाथ का महास्नान

-मान्यता है कि महास्नान के बाद भगवान सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित होकर एकांतवास में चले जाते हैं -एकांतवास के दौरान तीनों विग्रहों को 56 भोग नहीं, काढ़ा पिलाया जाता है खूंटी, 24 जून(हि. स.)। भले ही वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान डाॅक्टर और विषेशज्ञ कोरोना संक्रमित व्यक्ति को एकांतवास(होम क्वारेंटाइन) औरकाढ़ा पीने की सलाह दे रहे हों, पर भगवान जगन्नाथ स्वामी वर्षों से इसका संदेश देते आये हैं कि संक्रमित व्यक्ति को कम से कम 14 दिनों तक एकांतवास में रहना चाहिए। ज्येष्ठ पूर्णिमा के मौके पर महास्नान के बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र रविवार को एकांतवा में चले गये। अब रथयात्रा के दिन तीना विग्रह दशेन के लिए भ्रमण पर निकलेंगे। 15 दिनों के एकांतवास में भगवान अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर चले जाते हैं। एकांतवास के दौरान तीनों को 56 भोग नहीं मिलता, बल्कि नीम का काढ़ा पिलाया जायेगा। मान्यता है कि महास्नान के बाद वे सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हो जाते हैं। इसलिए उन्हें 15 दिनों तक गर्म पदार्थ और काढ़ा दिया जाता है। ठीक वहीं सलाह आज डाॅक्टर दे रहे हैं। तोरपा के कोटेंगसेरा, जरियागढ़, कर्रा, झपरा, तपकारा सहित अन्य गांवों में भगवान जगन्नाथ सहित तीनों का महास्नान कराया गया और महाआरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिये गये। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा के दिन नेत्रदान के बाद तीनों विग्रहों की रथयात्रा निकाली जायेगी। कोटेंगसेरा स्थित जगन्नाथ मंदिर में विधि विधान के साथ महास्नान अनुष्ठान संपन्न कराया गया। लाॅकडाउन की वजह से अनुष्ठान में केवल पांच लोग शामिल हुए। कारो नदी से कलश में भरकर जल लाया गया। दूध, जल व सुगंधित द्रव्य से भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा,भाई बलदेव के विग्रहों का स्नान कराया गया और महाआरती की गयी। भोग के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया गया। महास्नान अनुष्ठान महेश निलय दास प्रभु, रामधन प्रभु, जानकी प्रभु ,रघुनाथ प्रभु ,सेन प्रभु ने संपन्न कराया। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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