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पंचायत स्तर तक कोविड संक्रमित शवों की अंत्येष्टि की टीम बने :माले

12/05/2021 रांची, 12 मई (हि.स.)। कोविड संक्रमित शवों की अंत्येष्टि एक मुसीबत बनकर सामने आ रही है। अफवाहों और तनाव की वजह से कही दिनभर शमाशनघाटों और कब्रिस्तान की चक्कर लगानी पड़ रही है तो कही शवों को ठेले पर लोड करके घाटों तक ले जाया जा रहा है। भय की वजह से गांव वालों की भागीदारी नहीं हो पा रही है। गुमला, रामगढ़, लातेहार, बोकारो, समेत राज्य के कई जिलों में इस तरह की घटनाएं घटित हो रहे हैं। गुमला के बिशुनपुर में सेवानिवृत सब इंस्पेक्टर इलेक्सियुस लकड़ा की घटना ताजा सबूत है। कई अस्पतालों द्वारा संक्रमित शवों को परिजनों को सौंप दिए जाने से ग्रामीण क्षेत्रो में संक्रमण और तनाव दोनो की स्थिति विस्फोटक बन गई है। समय रहते सरकार द्धारा दिशा निर्देश देकर पंचायत स्तर अंत्येष्टि टीम गठित किया जाए ताकि इस स्थिति पर रोक लगाई जा सके। अन्यथा अकस्मात बड़ी घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। शवों की सम्मान पूर्वक अंत्येष्टि किसी भी सभ्य सामाज की पहचान है । झारखंड जैसे राज्य में जहां जमीन से जुडी प्रगतिशील धारा की समर्थक सरकार है ।वहां यह काम और भी महत्वपूर्ण है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सख्ती और जागरूकता दोनो ही तरीके नहीं अपनाए गए तो उत्तर प्रदेश की तरह कोविड मरीजों के शव जलाशयों में फेंकने के लिए लोग मजबूर होगें। जो झारखंड के लिए सबसे अपमान जनक बात होगी। हर व्यक्ति का जिंदा रहने का सामाजिक और कानूनी अधिकार है, ठीक उसी तरह मौत के बाद भी उतना ही सम्मान पाने का हक है। कोविड संक्रमण के लिए सिर्फ व्यक्ति और परिवार नही बल्कि सरकार और व्यवस्था जिम्मेवार है । सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइड लाइन के आधार पर निर्देश जारी कर सख्ती से इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाए। भाकपा माले ने रांची के कई बुद्धिजीवियों,कार्यक्रताओं और लेखकों कलाकारों के साथ वर्चूवल बैठककर बुधवार को सात सूत्री सुझाव पत्र मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईमेल के जरीये भेजा है। जिसमे डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइन का पालन करते हुए अराजकता की स्थिति पर विराम लगाने , निजी अस्पतालों में भर्ती कोविड मरिजो से आर्थिक दोहन पर रोक लगाने , सरकारी अस्पतालों में भर्ती की प्रक्रिया सुगम बनाने, सामाजिक कार्यकर्ताओं को पहचान पत्र जारी कर कोविड रोकथाम में लगाना, मजदूर और गरीब परिवारों को राशन की व्यस्था करने समेत अन्य सुझाव शामिल है। वर्चूवल बैठक में माले जिला सचिव भुवनेश्वर केवट, झारखंड आंदोलनकारी पुष्कर महतो, नागपुरी कलाकार सीमा साहू मजदुर नेता रामकुमार,भीम साहू झारखण्डी बुद्धिजीवी गणेश साहू, आदि मुख्यरूप से शामिल थे। हिन्दुस्थान समाचार/ विकास/चंद्र

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