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झारखंड में सात वर्षों में डायन बिसाही के 4691 मामले आये सामने

रांची, 05 अप्रैल (हि.स.)। झारखंड में अंधविश्वास के नाम पर डायन बिसाही का आरोप लगाकर महिलाओं पर अत्याचार और हत्या कर देने का मामला लगातार सामने आता है। झारखंड पुलिस के आंकड़े यह बताते हैं कि राज्य में किसी न किसी थाने में हर हफ्ते डायन बिसाही के एक- दो मामले सामने आते हैं। इसमें ज्यादातर महिलाएं ही प्रताड़ित होती हैं। सात वर्ष में 4691 मामले किये गए है दर्ज पुलिस आंकड़ों के अनुसार पिछले सात वर्ष (2015-21) के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में 4691 मामले दर्ज किए गए। इसमें हत्या से संबंधित 314 मामले दर्ज हैं। डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम के तहत 2015 में 818, 2016 में 688, 2017 में 668, 2018 में 567, 2019 में 978 और 2020 में 837 मामले दर्ज किए गए हैं। 2020 में डायन बिसाही के नाम पर 30 लोगों की हत्या कर दी गई। वर्ष 2021 में अबतक डायन हत्या और डायन अधिनियम से संबंधित 135 मामले अब तक सामने आए हैं। इनमे चार डायन बिसाही में हत्या और 131 मामले डायन अधिनियम से संबंधित दर्ज किये गए है। अशिक्षा और अंधविश्वासों के कारण होती है हत्या अशिक्षा और अंधविश्वास की वजह से डायन बिसाही की घटनाएं घटित होती है। झारखंड के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग किसी बीमारी के फैलने की स्थिति में पहले ओझा के पास जाते हैं। इसके बाद जब उनसे ठीक नहीं होते तब झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते है।ओझा और झोलाछाप डॉक्टरों से कुछ नहीं हो पाता तब वह आस पड़ोस की किसी महिला को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा देते हैं। मौजूदा समय में गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं हैं और ऐसी स्थिति में डॉक्टर और ओझा ही लोगों का सहारा है। ओझा की ओर से डायन करार दी गई महिला का उत्पीड़न शुरू होता है और कई बार मामले में लोग जान से भी मार देते हैं। लोग पुरानी धारना को मानते हुए किसी बच्चे को बुखार आने, पेट में दर्द होने, खाना न खाने, रात में रोने, नींद न आने, गांव में फसल कम होने, पानी कम गिरने या अधिक गिरने, जानवरो की तबीयत खराब होने पर यह मान लेते हैं कि किसी की नजर लगी है। क्या कहते हैं अधिकारी मामले को लेकर सीआईडी के एडीजी अनिल पलटा ने बताया कि डायन हत्या के पीछे आर्थिक झगड़े, अंधविश्वास और दूसरी निजी और सामाजिक संघर्ष प्रमुख कारण है। अधिकतर आदिवासी समुदाय में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में जमीन पर ज्यादा अधिकार प्राप्त होते हैं। इस संपत्ति पर अधिकार जमाने के लिए उन्हें डायन साबित करने की कवायद शुरू की जाती है। खासकर उन महिलाओं को निशाने पर रखा जाता है जिनके परिवार में कोई नहीं होता। ग्रामीण इलाकों में संपत्ति हड़पने या आपसी रंजिश के लिए भी इस कुप्रथा की आड़ ली जाती है। इसे रोकने के लिए पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चलाती है। इस मामले में संलिप्त व्यक्ति को अविलंब गिरफ्तार भी किया जाता है। ये हैं प्रमुख घटनाएं गुमला के कामडारा थाना क्षेत्र के बुरुहातु गांव में 22 फरवरी की रात निकोदिन टोपनो के पूरे परिवार की हत्या डायन बिसाही की आशंका के आधार पर कर दी गई थी। हत्या के आरोप में गुमला पुलिस की तरफ से गांव के ही 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। राजधानी रांची में बीते 28 मार्च को लापुंग के लोधमा गांव में डायन बिसाही का आरोप लगाकर सुको उराइन की पत्थर से कूच कर हत्या कर दी गई थी। मामले में पुलिस ने 30 मार्च को संदीप बाड़ा, पतरस उरांव और गेंदरा बाड़ा को गिरफ्तार किया था। तीनों में घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी। गिरफ्तार आरोपितों की ओर से बताया गया कि दो साल पहले आरोपी संदीप बाड़ा के बच्चे की मौत हो गई थी। उस वक्त संदीप और उसके परिजनों ने महिला पर डायन होने का शक जताया था। हालांकि उस वक्त संदीप ने महिला के साथ कुछ नहीं किया। एक सप्ताह पहले महिला आरोपी संदीप के घर के आसपास मंडरा रही थी। परिवार के सदस्यों की मौत होने के संदेह में आरोपियों ने 28 मार्च को सुको को सोते वक़्त पत्थर से कूच कर हत्या कर दी। रांची के बेड़ो, नामकुम, लापुंग, दशम, अनगड़ा और तुपुदाना ऐसे इलाके हैं जहां डायन के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने की खबरें सामने आती हैं। लगातार चलाया जाता है जागरुकता अभियान पुलिस की ओर से डायन बिसाही के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार कर ग्रामीणों के बीच जागरूकता फैलाई जाती है। बावजूद इसके गांधारी का मामला सामने आता है। सभी थाना के प्रभारी गांव के मुखिया के साथ लोगों के बीच डायन बिसाही को लेकर हमेशा बैठक करते हैं। इसके अलावा झारखंड के सभी ग्रामीण थानों में चौकीदार के द्वारा भी डायन बिसाही खिलाफ प्रचार प्रसार किया जाता है। लगातार जिले के एसपी इस संबंध में सभी थाना प्रभारियों को डायन बिसाही को रोकने के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक करने का भी निर्देश देते हैं। सभी जिलों में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी लोगों को डायन बिसाही के खिलाफ जागरूक किया जाता है। सरकार भी अपने स्तर से लोगों को अवेयर करने का काम करती है। कुछ लोगों का कहना है कि डायन बिसाही को रोकने के लिए लोगों को शिक्षित करना और स्वास्थ्य सुविधाएं सहित अन्य सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों में मिले इसकी व्यवस्था करना बेहद जरूरी है। हिन्दुस्थान समाचार/विकास

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