झारखंड हाई कोर्ट ने कहा- चिकित्सा सेवा में लगे लोगों का स्ट्राइक करना गंभीर

झारखंड हाई कोर्ट ने कहा- चिकित्सा सेवा में लगे लोगों का स्ट्राइक करना गंभीर

अदालत ने इस बिंदु पर रिम्स और सरकार को तीन सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मोख्तार खान ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा।

 रांची, एजेंसी। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की बेंच में गुरुवार को वर्ष 2018 में रिम्स अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के कार्य बहिष्कार के दौरान मरीजों की मौत से जुड़े मामले की सुनवाई हुई।सुनवाई के दौरान अदालत ने रिम्स से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि स्ट्राइक के दौरान जिन इलाजरत लोगों की मृत्यु हुई, उनके परिजनों को मुआवजा दिया गया है या नहीं। मुआवजा के लिए लिए क्या योजना है।

अधिवक्ता मोख्तार खान ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा

अदालत ने इस बिंदु पर रिम्स और सरकार को तीन सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मोख्तार खान ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि चिकित्सा जरूरी सेवा के दायरे में आता है। चिकित्सा सेवा में लगे लोगों का स्ट्राइक करना गंभीर मामला है।

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