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हूल दिवस पर याद किए गए महानायक

लोहरदगा, 30 जून (हि.स.)। हूल दिवस के अवसर पर समाहरणालय परिसर में संथाल हूल के महानायकों सिधो- कान्हू के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि देकर श्रद्धासुमन अर्पित की गई। जिले के पदाधिकारी एवं कर्मचारियो ने पुष्पांजलि दी। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो ने कहा कि हूल दिवस महानायको को याद करने तथा उनके कृत्यों से प्रेरणा लेने का अवसर है। ब्रिटिश शासन के अत्याचार के विरुद्ध संथाल परगना में सिदो-कान्हू, चाँद-भैरव, बीर बुधु भगत, बिरसा मुंडा जैसे महानायको ने अंग्रेज जुल्मी के खिलाफ आंदोलन किया था। उन महानायको के आंदोलनों के ही परिणाम है कि हमारे पास छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम और संथाल परगना में संथाल परगना कास्तकारी अधिनियम बना है, जिससे आज लोग संरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि हमे इन महानायकों के आंदोलनों एवं जीवन चरित से प्रेरणा लेनी चाहिये कि हम अत्याचार के विरुद्ध खड़े हों और जुल्म न सहें। हूल दिवस हमे एकजुट होकर रहने और अपने हक व अधिकार के लिये लड़ने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर उपविकास आयुक्त ने कहा कि संथाल हूल संथाल परगना क्षेत्र में अंग्रेजो के विरुद्ध अधिकार एवं स्वतंत्रता की लडाई थी। अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि संथाल में हूल का अर्थ बड़ा विद्रोह होता है,वही बिरसा मुंडा के बड़े विद्रोह को उलगुलान कहा जाता है।सिदो-कान्हू ने 1855-56में अपने स्वायत्तता,जनजातीय प्रथा एवं परंपरा के छीने जाने के विरुद्ध आंदोलन किया।मरते दम तक अपने ऊपर अंग्रेजो के हुकूमत को स्वीकार नहीं किया।अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध एकजुटता के साथ आंदोलन किया।वे मरते दम तक आत्मसमर्पण नही किया, जिसे आज हम याद कर उन्हें श्रधांजलि दे रहे हैं।ऐसे महानायको को उनके याद में सभी ने नमन किया। हिन्दुस्थान समाचार / गोपी

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