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प्राइवेट अस्पतालों के संचालन और मैनेजमेंट के लिए मार्गदर्शिका बनायी जाए : सरयू

रांची, 23 मई (हि. स.)। विधायक सरयू राय ने आदित्यपुर, जिला, सरायकेला-खरसांवा के 111 सेव लाईफ अस्पताल से संबंधित विवाद का हल निकालने के संबंध में रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि अस्पताल से जुड़ी खबरें विगत कई दिनों से जमशेदपुर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। आज की खबर से लग रहा है कि प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण यह अस्पताल बंद होने की कगार पर है। पिछले साल भी जमशेदपुर का मेडिका अस्पताल अकारण बंद हो गया था। सरकार, प्रशासन, टाटा स्टील नहीं बता पाया कि इस अस्पताल के बंद होने की नौबत क्यों आई। विडम्बना है कि एक ओर कोरोना में अस्पतालों के बेड की संख्या एवं गुणवत्ता बढ़ाने की हर कोशिश हो रही है और दूसरी ओर अस्पतालों के बंद होने की स्थिति भी पैदा हो रही है। मूल बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक आदेश पर जाँच करने आई टीम के साथ अस्पताल संचालक ने दुर्व्यवहार किया। मंत्री के प्रति अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। होना तो चाहिये था कि इसके बाद बात वहीं खत्म हो जाती, अस्पताल संचालक को स्वास्थ्य मंत्री की माफी मिल जाती। अस्पताल की क्लिनिकल जाँच हो जाती, जांचोपरांत अस्पताल चलने लगता, यदि मंत्री को अस्पताल संचालक का कृत्य माफी योग्य नहीं लगता तो अपशब्द व्यक्त करने के लिये कानून की प्रासंगिक धाराओं में अस्पताल संचालक के उपर मुकदमा दर्ज होता, उनपर विधिसम्मत कारवाई होती। लेकिन ऐसा होने की जगह अस्पताल के बंद होने की नौबत आ गई है। क्लिनिकल जाँच की जगह प्रशासनिक जाँच चलने लगी है जो आपराधिक दंड विधान की कारवाई की ओर बढ़ती प्रतीत हो रही है। इसका प्रतिकुल प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि जहां तक मुझे स्मरण है 27 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री के मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम में देवघर में हुये ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट के दौरान इस अस्पताल का शिलान्यास हुआ था और कहा गया था कि यह अस्पताल एक रोल मॉडल होगा। यह रोल मॉडल बिखर रहा है, पर इसे रोल मॉडल बनाने की घोषणा करने वालों को शायद पता नहीं कि यह रोल मॉडल आज किस स्थिति में पहुँच गया है। वे लोग अपने रोल मॉडल का बचाव से कतरा रहे हैं। मुझे लगता है कि सरकार 111 लाईफ अस्पताल की जितनी गहन जाँच कराना चाहती है, कराये। साथ ही जमशेदपुर - आदित्यपुर के अन्य अस्पतालों की भी इसी मापदंड पर जाँच करा ले। शायद आदित्यपुर के मेडिट्रिना अस्पताल में किसी प्रकार की जाँच हुई भी है, लेकिन सेव लाईफ अस्पताल को चलने दे। मेडिका की तरह इसे बंद नहीं कराये। जनहित में, खासकर आदित्यपुर के हित में यह अस्पताल चलना चाहिये। मुझे लगता है कि सरकार विशेषज्ञों के परामर्श पर राज्य के निजी अस्पतालों के संचालन एवं प्रबंधन के लिये एक मार्गदर्शिका बना दे। इसका अनुपालन तत्परता से कराये और इसके अनुपालन में कोताही साबित होने पर कारवाई करे। कोरोना काल में कतिपय निजी अस्पतालों के संचालन संस्कृति के बारे में काफी शिकायतें मिल रही हैं। ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया में अस्पतालों के संचालन एवं प्रबंधन में सुधार हो न कि अस्पतालों के बंद होने की नौबत आये। उन्होंने अनुरोध किया कि उपर्युक्त विषयक समस्या का शीघ्र समाधान करने की दिशा में पहल करें। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण

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