संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक ट्रांसजेंडरों को सरकारी व्यवस्था में थर्ड जेंडर के रूप में शामिल तो कर लिया गया है लेकिन अभी भी समाज में उनको भेदभाव का सामना करना पड़ता है।