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15 सदस्यीय अपहरणकर्ताओं के गिरोह का पर्दाफाश, 8 गिरफ्तार, हथियार और मोटरसाइकिल बरामद

रामगढ़, 02 जून (हि.स.)। रामगढ़ पुलिस ने 15 सदस्य अपहरणकर्ताओं के गिरोह का पर्दाफाश कर लिया है। उनमें से आठ अपहरणकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। इस मामले का खुलासा बुधवार को एसपी प्रभात कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। उन्होंने बताया कि सभी अपहरणकर्ता गोला थाना क्षेत्र के बंदा टोला पिपराजारा गांव के निवासी हैं। गिरफ्तार लोगों में वीरचंद मांझी, विनोद मांझी, सोमरा उर्फ गुच्चु मांझी, निरंजन मुर्मू, शिव मांझी, सुलेन्द्र मांझी, बेनी राम मांझी और गौतम मांझी शामिल हैं। उनके पास से दो देशी कट्टा, दो जिंदा कारतूस, दो टांगी, 2 फरसा, एक धारदार दुबली, 7 मोबाइल, दो बाइक, एक त्रिपाल, एक कंबल और तीन पुराना टीशर्ट जप्त हुआ है। 3 मई को गेल कंपनी के कर्मचारी का हुआ था अपहरण एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि 3 मई को 15 अपहरणकर्ताओं ने गेल कंपनी के कर्मचारी रामकुमार प्रजापति को गोला थाना क्षेत्र के चोपादारू घाटी के जंगल से अपहरण किया था। 21 दिनों के बाद उसे 5 लाख की फिरौती लेने के बाद रिहा किया गया था। पुलिस इस मामले में अपहरणकर्ताओं को लगातार तलाश रही थी। गिरोह के सदस्यों को पकड़ने के लिए पुलिस ने 1 महीने तक जंगल के हर कोने में छापेमारी की थी। फिरौती की रकम से खरीदा गया था मोबाइल, टीवी और बाइक एसपी ने बताया कि फिरौती की रकम से अपहरणकर्ताओं ने महंगे मोबाइल, टीवी और बाइक खरीदा था। उन सभी सामान को भी जब्त कर लिया गया है। गिरफ्तार लोगों ने बताया कि जब वे लोग पैसे लेकर भाग रहे थे, तो कुछ पैसे जंगल में ही गिर गए थे। बचे रकम को 15 लोगों में बांटा गया था। एक अपराधी ने ₹22000 का मोबाइल खरीदा था। दूसरे घर में नया टीवी लिया था। तीसरे अपहरणकर्ता ने बाइक खरीदने के लिए एजेंसी में रकम जमा किया था। दुकान बंद होने के कारण बाइक की डिलीवरी नहीं हो पाई थी। इन सभी चीजों को जप्त कर लिया गया है। अनपढ़ शातिर अपराधियों ने पुलिस को खूब छकाया एसपी ने बताया कि अपहरणकर्ताओं के गिरोह में सभी लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। उनमें से कोई भी व्यक्ति मोबाइल व अन्य किसी तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल नहीं करता है। गिरोह का मुख्य सरगना ही सिर्फ मोबाइल रखता था। उसका इस्तेमाल सिर्फ फिरौती मांगने के लिए किया जाता था। अपहरण की घटना को अंजाम देने के बाद 15 लोगों में से कोई भी 22 दिनों तक अपने घर नहीं लौटा था यह लोग जंगल में ही टेंट लगाकर रहते थे जिस कर्मचारी का अपहरण किया गया था उसे रजरप्पा थाना क्षेत्र के भुचूंगडीह और लेड़ी टुंगरी के बंद पड़े खदानों में छुपा कर रखते थे। गिरोह का एक सदस्य गांव से खाना बनाकर जंगल में आता था। जब रामकुमार प्रजापति को रिहा किया गया था उस वक्त पुलिस ने उनका पीछा किया था। गिरोह के सदस्य जब रुपए लेने आए थे तब पेंट और टीशर्ट में थे। लेकिन भागने के दौरान इन लोगों ने वह कपड़ा फेंक दिया। लूंगी और कुर्ता पहन कर जंगल में घुस गए थे। पुलिस की टीम को यह मिले भी थे, लेकिन उनकी शिनाख्त सही से नहीं हो पाई थी। अपहरण की तीन घटनाओं को अंजाम दे चुका था यह गिरोह इस गिरोह ने अपहरण की तीन घटनाओं को अंजाम दिया था। पहली घटना इस गिरोह ने वर्ष 2019 में अंजाम दिया था। पहली वारदात रजरप्पा थाना क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य में लगे एक कंपनी के मुंशी का अपहरण इन लोगों ने किया था। इसके बाद रामगढ़ और बोकारो जिले के सीमा पर दामोदर नदी पुल निर्माण में लगी कंपनी के एक मुंशी का अपहरण किया था। इन दोनों वारदातों में इस गिरोह ने मोटी रकम फिरौती के रूप में वसूल की थी। तीसरी वारदात में गेल कंपनी के कर्मचारी का अपहरण किया था। लकड़हारे के रूप में जंगल में घूम रहे थे अपहरणकर्ता एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि गिरफ्तार अपहरणकर्ताओं के पास से बरामद धारदार हथियार लकड़ी काटने के काम में आते हैं। वे लोग उसी को लेकर जंगल में रहते थे। देखने में लगता था कि वे ग्रामीण है और जंगल में लकड़ी काटने का काम करते हैं। जिसकी वजह से पुलिस उन तक नहीं पहुंच पा रही थी। हिन्दुस्थान समाचार/अमितेश

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