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वट सावित्री का पूजन कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सौभाग्य का वरदान

खूंटी, 10 जून (हि.स.)। सुहागिनों ने गुरुवार को वट सावित्री की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना की। दो दिन अमावस्या होने के कारण पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत वट सावित्री व्रत कुछ जगहों पर बुधवार को ही मनाया गया, जबकि अधिकांश जगहों पर गुरुवार को वट सावित्री का त्योहार गुरुवार को मनाया गया। सुबह से ही वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर अखंड सौभाग्य और परिवार की खुशहाली की कामना की गई। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था। इस व्रत के दिन पूजा-अर्चना के दिन सत्यवान-सावित्री की कथा भी पंडितों से सुनी। वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है और पेड़ की परिक्रमा कर मौली धागा बांधा जाता है। जिला मुख्यालय के बुढ़वा महादेव, बजार टांड़ सहित कई जगहों पर वट सावित्री का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के मनाया गया। हालांकि, कोरोना संक्रमण के कारण पुलिस ने पूजा स्थलों पर भीड़ नहीं होने दिया। सुबह से दोपहर तक विभिन्न जगहों पर बरगद पेड़ की पूजा-अर्चना की गयी। तोरपा, कर्रा, रनिया, अड़की और मुरहू प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में भी वट सावित्री का त्योहार पारंपरिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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