भूमि कानूनों का विरोध करने वाले युवाओं व विकास के दुश्मन: रमन सूरी
भूमि कानूनों का विरोध करने वाले युवाओं व विकास के दुश्मन: रमन सूरी

भूमि कानूनों का विरोध करने वाले युवाओं व विकास के दुश्मन: रमन सूरी

जम्मू, 02 नवबंर (हि.स.)। कांग्रेस, नेकां, पीडीपी और पैंथर्स पार्टी जैसे राजनीतिक दल जो नए भूमि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे युवाओं के दुश्मन हैं, तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और वास्तव में जम्मू और कश्मीर के संघ शासित प्रदेश (यूटी) में विकास से प्रभावित हैं। ये दल वास्तव में जम्मू-कश्मीर को देश के किसी अन्य राज्य के बराबर नहीं देखना चाहते हैं। यह बात बीजेपी जम्मू-कश्मीर के कार्यकारी सदस्य रमन सूरी ने सोमवार को कही। उन्होंने कहा कि इन राजनीतिक दलों ने जम्मू और कश्मीर में विकास के हर पहलू को रोक दिया था और अपने युवाओं के लिए धारा 370 के अस्थायी प्रावधान सहित मनमाने कानूनों का समर्थन किया था। जम्मू-कश्मीर में बहु-राष्ट्रीय के साथ-साथ राष्ट्रीय व्यावसायिक घरानों के रोजगार के अवसर, विकास ध्वस्त हो चुके हैं, जम्मू-कश्मीर समृद्धि के एक नए युग का गवाह बनने जा रहा है, जो इन दलों को हजम नहीं हो रहा है। रमन सूरी ने याद दिलाया कि इन राजनीतिक संगठनों ने विशेष रूप से नेकां ने पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के साथ जम्मू-कश्मीर स्टेट ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड भी बनाया था, जिसमें शिक्षित युवाओं को राज्य से बाहर धकेल दिया गया था। वे सभी चाहते थे कि युवा मानव संसाधन को राज्य से बाहर धकेल दिया जाए और शेष को मजदूर बना दिया जाए ताकि वे बिना किसी से सवाल किए शासन करते रहें या पूर्ववर्ती राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में अपने अस्तित्व को खतरे में न डाल सकें। रमन सूरी ने कहा कि जब तक उद्योगपतियों, सॉफ्टवेयर कंपनियों, स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, होटल व्यवसायियों, व्यापारियों, निर्माताओं और अन्य व्यावसायिक घरानों को जम्मू-कश्मीर में जमीन और बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तब तक रोजगार या विकास बनाने की हर बात झूठ के सिवाय कुछ नहीं है। चूंकि केंद्र में भाजपा सरकार झूठे वादों पर विश्वास नहीं करती है। इसने धारा 370 को निरस्त कर दिया, निरंकुश और भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म कर दिया और विकास, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानूनों को भी यहां बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के युवा देश के अन्य राज्यों में काम कर सकते हैं, तो वे अपने ही राज्य क्षेत्र में एक ही कंपनी में नौकरी करना क्यों पसंद नहीं करेंगे। अगर पूरे एनसीआर, पुणे, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, केरल और अन्य राज्यों और शॉपिंग मॉल और सडक़ों पर जम्मू-कश्मीर के लोग रहते हैं, तो इन राज्यों के लोगों को क्यों नहीं आना चाहिए और यहां घरों के अलावा अन्य व्यवसाय भी हैं और हमारे युवाओं के लिए रोजगार का सृजन करें। जम्मू-कश्मीर में निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा एक गलत कथा निर्धारित की जा रही है क्योंकि वे अपने अस्तित्व के लिए खतरा महसूस कर रहे हैं। प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ, ये लोग हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को रोक रहे हैं। जम्मू और कश्मीर की संस्कृति इतनी कमजोर नहीं है कि कोई भी इसे नहीं देख सके। रोजगार और विकास एक बात है और सांस्कृतिक विविधता एक और है, जिसके लिए भारत विश्व प्रसिद्ध है। सांस्कृतिक आक्रमण की बात करने वाले वे हैं जिन्होंने हमारी विरासत को नष्ट कर दिया और जम्मू-कश्मीर के अन्य क्षेत्रों को कभी भी अपनी पूर्ण क्षमता तक विकसित नहीं होने दिया। डोडा, भद्रवाह, किश्तवाड़, बनी, बसोहली, राजौरी, पुंछ, उड़ी, लोलब, बारामूला और कुपवाड़ा जैसी जगहें उनकी प्राथमिकता की सूची में कभी नहीं थीं। उन्होंने सिर्फ विशिष्ट क्षेत्रों में विकास को सीमित किया और श्रीनगर, जम्मू और भारत के अन्य राज्यों में कर अदायगी की लागत पर अपनी खुद की हवेली बनाई। जब यहाँ पर मेगा औद्योगिक सम्पदाएँ विकसित की जाएंगी, तो औद्योगिक इकाइयाँ स्वतः ही अपनी उपस्थिति यहाँ बड़े पैमाने पर महसूस करवाएँगी। उन्होंने कहा कि इस सब के लिए मैदान तैयार किया जा रहा है और युवाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास होना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/अमरीक/बलवान-hindusthansamachar.in

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