करवाचौथ के उपलक्ष्य पर महिलाओं ने अपने पतियों की लंबी आयू के लिए किया उपवास
करवाचौथ के उपलक्ष्य पर महिलाओं ने अपने पतियों की लंबी आयू के लिए किया उपवास

करवाचौथ के उपलक्ष्य पर महिलाओं ने अपने पतियों की लंबी आयू के लिए किया उपवास

उधमपुर, 4 नवंबर (हि.स.)। बुधवार को करवाचौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस उपलक्ष्य मंे महिलाओं ने अपने पति की दीघ्रायु के लिए पूरा दिन उपवास रखा। इससे पहले महिलाओं ने सुबह 4 बजे उठकर सरगी खाई तथा उसके उपरांत अपने उपवास को प्रारंभ किया। करवाचैथ के उपलक्ष्य पर महिलाओं ने मेंहदी लगाई तथा खूब श्रृंगार किया। वहीं दूसरी ओर बाजारों में भी खूब रश रहा। खासकर मेंहदी वालों, मिठाई, मनियारी, फल विक्रेताओं के पास खूब रश देखा गया। पुलिस प्रशासन ने भारी रश को देखते हुए बाजार की तरफ जाने वाले विभिन्न मार्गों को बंद कर दिया तथा पूरी तरह से चैकसी बरती । भारत में हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रादि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई पर्व, त्यौहार या संस्कार आदि आता ही है लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जो उपवास किया जाता है उसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। दरअसल इस दिन को करवाचौथ का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होने लगता है। हालांकि पूरे भारतवर्ष में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बड़ी धूमधाम से इस त्यौहार को मनाते हैं लेकिन उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में तो इस दिन अलग ही नजारा होता है। करवाचौथ व्रत के दिन एक और जहां दिन में कथाओं का दौर चलता है तो दूसरी और दिन ढलते ही विवाहिताओं की नजरें चांद के दिदार के लिये बेताब हो जाती हैं। चांद निकलने पर घरों की छतों का नजारा भी देखने लायक होता है। दरअसल सारा दिन पति की लंबी उम्र के लिये उपवास रखने के बाद आसमान के चमकते चांद का दिदार कर अपने चांद के हाथों से निवाला खाकर अपना उपवास खोलती हैं। करवाचैथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है और करवाचैथ व्रत की कथा सुनी जाती है। सामान्यतः विवाहोपरांत 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को रख सकती हैं। माना जाता है कि अपने पति की लंबी उम्र के लिये इससे श्रेष्ठ कोई उपवास अथवा व्रतादि नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान-hindusthansamachar.in

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