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गुरु रविदास के 644वें प्रकाशोत्सव पर सत्संग और शब्द कीर्तन का आयोजन किया गया

कठुआ, 27 फरवरी (हि.स.)। संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी के 644वें प्रकाशोत्सव पर शहर में पुराने बस स्टैंड स्थित गुरु रविदास मंदिर में सत्संग और शब्द कीर्तन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संत रविदास के जीवन से जुड़ी अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। शनिवार को पुराने बस स्टैंड स्थित गुरु रविदास मंदिर से शुरू हुई सत्संग और शब्द कीर्तन को सुनने के लिए में काफी संख्या में भक्तों ने भाग लेकर गुरु रविदास जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। ढोल नगाड़ों के साथ काफी संख्या में भक्तों ने भाग लेकर गुरु जी के प्रति अपनी आस्था का परिचय दिया। इस अवसर पर पूर्व विधायक ध्यानचंद ने गुरू रविदास जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज बहुत बड़ा पवित्र दिन है, श्री गुरु रविदास जी महाराज जी का 644वां प्रकाशोत्सव है। आज के पवित्र दिन पर तकरीबन 644 साल पहले गुरु रविदास जी महाराज इस संसार में प्रकट हुए। दीन, दुखियों, दलितों, पीड़ितों और मातृशक्ति का सहारा बनकर भारत माता के लाल ने जन्म लिया जिसने इस संसार में मानवता, आध्यात्मिकता और अकाल पुरुष का संदेश इस मानव जाति को दिया। उन्होंने बताया कि उनके जन्म के साथ ही बचपन के ही दिनों में उन्होंने कई कृतज्ञ दिखाएं। जिसके आगे बड़े बड़े महान राजा, बड़े बड़े छत्रपति राजा भी झुक गए और उनके चेले बन गए और चेले बनने के बाद गुरु रविदास जी का गुणगान गाया। उन्होंने कहा कि अगर इस संसार में गुरु रविदास जी महाराज ना होते तो आज संसार में बाला साहब भीमराव अंबेडकर भी ना होते। इन महापुरुषों ने ऐसी कुर्बानी दी है कि संसार में जब तक सूरज चांद रहेगा गुरु रविदास का नाम रहेगा। उन्होंने कहा कि इस शुभ अवसर पर गुरु रविदास सभा की तरफ से बड़े बड़े महान ग्रंथि, जिन्होंने हाउस ऑफ कॉमर्स, ब्रिटिश पार्लिमेंट, यूरोप आदि में गुरु रविदास जी महाराज की वाणी का प्रकाश किया। आज हमारा सौभाग्य है कि आज हम उनके बीच में बैठकर उनके विचार सुन रहे हैं और इस कार्यक्रम के बाद ज्ञानी कुलदीप सिंह जी हजूरी जत्थे वाले महान संत महान गुरु वाणी से इस संगत को निहाल करेंगे। वहीं अंत में विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान

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