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रोमियो फोर्स ने पाल्मा में मनाया स्वर्णिम विजय वर्ष

जम्मू, 06 जून (हि.स.)। रोमियो फोर्स 2001 में अपनी स्थापना के बाद से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के खिलाफ देश की लड़ाई में सबसे आगे रहा है और राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों के क्षेत्रों में भारत के खिलाफ पाकिस्तान प्रायोजित छद्म युद्ध को निर्णायक रूप से जीतकर 1971 की विरासत को जारी रखा है। जनरल ऑफिसर कमांडिंग, रोमियो फोर्स ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में हासिल की गई जीत की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए जिला राजौरी (जम्मू-कश्मीर) के पाल्मा में भव्य और प्रभावशाली समारोह में रविवार को भाग लिया। युद्ध के दौरान सर्वाेच्च बलिदान देने वाले सशस्त्र बलों के बहादुर सैनिकों को जनरल ऑफिसर कमांडिंग और रोमियो फोर्स के सभी रैंकों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पचास साल पहले, लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी के नेतृत्व में 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने बिना शर्त भारतीय सशस्त्र बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और चौदह दिनों के भारत-पाक युद्ध को समाप्त करने के लिए संघर्ष विराम की घोषणा को लागू किया गया था। इसके परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति हुई और बांग्लादेश के संप्रभु राष्ट्र का निर्माण हुआ। जीओसी, रोमियो फोर्स ने सभी उपस्थित लोगों के साथ बातचीत करते हुए छद्म युद्ध लड़ने सहित विभिन्न युद्धों में सशस्त्र बलों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेना ने हमेशा देश की संप्रभुता को बनाए रखते हुए, वीरता की उच्चतम परंपराओं और कर्तव्य के प्रति समर्पण को बनाए रखते हुए, अत्यधिक व्यावसायिकता के साथ प्रदर्शन किया है। उन्होंने भारत-पाक युद्ध में सैनिकों द्वारा दिए गए सर्वाेच्च बलिदान का भी उल्लेख किया और राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों की आबादी के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया, जिन्होंने स्वतंत्र भारत द्वारा लड़े गए सभी युद्धों में और शांति, सद्भाव बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना स्थानीय लोगों के साथ निकट सहयोग में प्रचलित कोविद-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। इस अवसर पर विशेष बलों के पैराट्रूपर्स द्वारा स्वागत दौड़ का आयोजन किया गया और उसके बाद फोर्स वॉर मेमोरियल पर माल्यार्पण किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/अमरीक/बलवान

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