नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। 14 फरवरी का वो 'काल दिन' जब एक ओर देश प्रगति की ओर बढ़ रहा था। लेकिन नापाक पाकिस्तान से भारत का विकास और शांति बर्दाश्त नहीं हुई। हमेशा की तरह अपनी आतंकी साजिशों को अंजाम देने के लिए भारत के नागरिकों और भारतीय सेना को खून और गम के आंसू दिए। 5 साल पहले जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को हुआ था। सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे वाहनों के एक काफिले पर एक वाहन सवार आत्मघाती हमलावर ने हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 कर्मियों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। आज पूरा भारत मिलकर पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को भावपूर्ण श्रृद्धांजलि अर्पित करता है।
हमले के पीछे था किसका हाथ?
यह आतंकी हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किया गया था। इससे भारत और विश्व स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ आक्रोश और निंदा हुई। इसके बाद भारत ने 2 दिन के अंदर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमले करके जवाब दिया। पुलवामा हमला देश के हालिया इतिहास में एक दुखद और महत्वपूर्ण घटना है। भारत सरकार का आतंकवाद के मूल कारणों को दूर करने और जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं। पाकिस्तान पिछले 3-4 साल से आर्थिक संकटों से जूझ रहा है।
पाकिस्तान का हाल हुआ बेहाल
पुलवामा हमला जम्मू-कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों पर सबसे घातक हमलों में से एक था। इसने राजनयिक और सैन्य कार्रवाइयों सहित भारत सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भारत ने पाकिस्तान को दिया गया सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा भी वापस ले लिया और पाकिस्तान से आयात सभी वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया। धीरे-धीरे करके भारत ने पाकिस्तान से पूरा आयात बंद कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान की अबतक क्या हालत है इसका परिणान सभी जानते हैं।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ अपनी एकजुटता की व्यक्त
इस हमले की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने व्यापक रूप से निंदा की और कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। पुलवामा हमला उस गंभीर खतरे की याद दिलाता है जो आतंकवाद राष्ट्रों की सुरक्षा और स्थिरता के लिए पैदा करता है और इस खतरे से निपटने के लिए ठोस वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है।
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