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सर्व धर्म सेवा समिति कठुआ के सदस्यों ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया कें्रद सरकार से क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा और शहीदी दिवस पर छुट्टी की मांग की

कठुआ, 23 मार्च (हि.स.)। ना तन चाहिए ना धन चाहिए हंसता हुआ वतन चाहिए, मैं जिऊं तो वतन के लिए, मरू तो तिरंगा कफन चाहिए। ऐसी विचारधारा थी देश के महान शूरवीर शहीद सरदार भगत सिंह की और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव की। मंगलवार को सर्व धर्म सेवा समिति कठुआ के सदस्यों ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। इस अवसर पर सर्व धर्म सेवा समिति के नवजोत सिंह सिद्धू, कार्तिक शर्मा सहित अन्य युवाओं ने शहीद भगत सिंह पार्क में स्थित देश के महान शूरवीर शहीद सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के स्मारक पर फूलमाला चढ़कर उन्हें याद किया। इस अवसर पर समिति के नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि आज हम सभी कठुआ के नौजवान मिलकर शहीद भगत सिंह और उनके साथियों को श्रद्धा के फूल भेंट करने आए हैं। उन्होंने कहा कि कठुआ शहर में शहीद ए आजम भगत सिंह जी के नाम पर जो पार्क बनाया गया है, उसके अंदर पवित्र मूर्तियां लगी हुई है वह तमाम मूर्तियां खंडित हो चुकी हैं। किसी मूर्ति का हाथ टूटा हुआ है और किसी का पांव टूटा हुआ है, हमें बहुत दुख लगता है कि जिस देश को आजाद करवाने के लिए इन्होंने अपनी जवानी कुर्बान कर दी और आज उसी देश में उनकी ऐसी हालत है, एक नौजवान होने के नाते हमें दुख है। सिद्धू ने कहा कि दुनिया में कोई भी चीज दान करना सबसे आसान है लेकिन अपनी नोजबानी देश के नाम लगा देना यह कोई आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि भगतसिंह और उनके सभी साथियों के अंदर छोटी उम्र में ही एक जज्बा था, उन्होंने कसम खाई थी कि गुलाम व्यक्ति का कोई देश नहीं होता, गुलाम व्यक्ति का कोई धर्म नहीं होता। उन्होंने अपनी कुर्बानियों से भारतवर्ष को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवाया लेकिन आज की जो राजनीति है उसने ना तो शहीद सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और अनेकों क्रांतिकारियों को ना तो शहीद का दर्जा दिया है और ना ही इस देश के अंदर उनका कोई विशेष जन्मदिन या ना ही उनकी शहीदी दिवस को छुट्टी रखी गई, इससे बड़ी शर्मनाक की बात कोई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि शहीद सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने जो हमें अपने देश के प्रति वफादारी सिखाई थी, वह आज देश के युवाओं तक नहीं पहुंच रही। अगर नहीं पहुंच रही तो उसका सबसे बड़ा कारण हमारे देश की राजनीति है जो हमें जाति और वर्ग में बांटकर राजनीति की रोटियां सेक रहे हैं। वहीं देश के नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हमारे प्रेरणा स्रोत हैं, इनके शहीदी दिवस वाले दिन छुट्टी कि जल्दी से जल्दी घोषणा करें, ताकि देश का हर युवा उन्हें अपना आदर्श मानकर देश की एकता अखंडता भाईचारा और देश की तरक्की में अपना योगदान दें। इसी बीच अपने विचार रखते हुए कार्तिक शर्मा ने कहा कि 23 मार्च को आज से 90 साल पहले एक काला दिन हमारे देश के इतिहास के लिए माना गया है, जिस दिन हमारे क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु सुखदेव और तमाम क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की जनता अगर आजाद फिजाओं में सांसे ले रही है, तो कहीं ना कहीं इन क्रांतिकारियों का बलिदान की वजह से हम सांस ले रहे हैं। लेकिन शर्म की बाद है कि इतने बड़े क्रांतिकारियों के लिए हमारे देश की सरकारों ने आज तक शहीदों का दर्जा नहीं दे पाई और ना ही सरकारी छुट्टी की घोषणा कर पाई। इस अवसर पर नवजोत सिंह सिद्धू, कार्तिक शर्मा, अजय कुमार, अमन शर्मा, देवेंद्र, राघव शर्मा, मनजीत कुमार, रोहन सिंह, मुन्ना ठाकुर सहित कई अन्य युवा मौजूद रहे। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान

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