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कठुआ जिला में गुटखा, दवाई, किराना, फल, फ्रूट आदि की कालाबाजारी जोरों पर, प्रशासन बना मूकदर्शक

कठुआ 13 मई (हि.स.)। कोरोना काल भले ही आम लोगों की जिदगी के साथ रोजी-रोटी पर संकट लाया हो, लेकिन इस काल का मुनाफाखोर, जमाखोर और कालाबाजारी करने वाले खूब फायदा उठा रहे हैं। सभी दुकानदार इस संकट की घड़ी में कालाबाजारी करने से बाज नहीं आ रहे है। जम्मू कश्मीर प्रदेश में जारी कोरोना कर्फ्यू के बाद सरकार ने कोरोना की चैन तोड़ने के लिए इसे आगामी 17 मई तक बढ़ाते हुए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। जिसमें आवश्यक वस्तुओं जैसे किराना, फल, फ्रूट आदि की खरीददारी में कोरोना गाइडलाइंस की पालना के साथ कुछ विशेष छूट दी है। ताकि आम इंसान को होने वाली मुसीबतों से भी बचा जा सके तथा बढ़ते कोरोना संक्रमण को भी रोका जा सके। लेकिन यह कोरोना कर्फ्यू गुटखा तम्बाकू का सेवन करने वालों की जेब पर चाकू चला रहा हैं। वहीं दवाईयां सहित गुटखा तम्बाकू बेचने वाले दुकानदारों के लिए यह कोरोना काल काली कमाई करने का एक अवसर लेकर आया हैं। गुटखें के बड़े व्यापारियों द्वारा आमजन की सबसे ज्यादा जेब काटी जा रही हैं। पिछले साल भी जहाँ लॉकडाउन में गुटखें तम्बाकू चार से पांच गुना दामों में बिके। वही बीच में गुटखे तम्बाकू के भाव सामान्य हो गए थे। लेकिन अब अचानक कोरोना की दूसरी लहर के साथ सरकार द्वारा कुछ पाबंदियां लगाई गई तो कई बड़े कालाबाजारियों के द्वारा माल नही आने का हवाला देकर एक बार फिर अपनी कालाबाजारी बढ़ा दी है। पिछले कुछ दिनों में कोरोना कर्फ्यू लंबे समय तक चलने की एक अफवाह के कारण पान मसाला, तम्बाकू दुकानों पर दुकानदारों द्वारा माल का स्टॉक कर लिया गया और माल नहीं होने का हवाला देकर दुकानदारों द्वारा एकदम ग्राहकों को मॉल देना बंद कर दिया गया। गुटखा कारोबारियों ने माल खत्म होने की घोषणा कर दी, लेकिन वास्तविकता देखे तो यह जमकर कालाबाजारी हुई है। इसके बाद बेचने वालों ने इसका पूरा फायदा उठाया। कुछ ही देर बाद गुटखा तम्बाकू दुगुने दामों पर बिके। वही जिला प्रशासन इनके ऊपर कार्यवाही करने की बजाय अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। यथा कहीं एक दो दुकान पर अपनी कार्यवाही कर खानापूर्ती कर देते हैं। जिससे न तो दुकानदारों में प्रशासन की कार्यवाही का कोई खौफ है और न ही दुकानदार इस विकट परिस्थिति में कालाबाजारी करने से बाज आ रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से कोई उचित कार्यवाही नही होने से बड़े व्यापारी जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। जिसका भार आमजन को मजबूरीवश उठाना पड़ रहा हैं। गुटखे तंबाकू का नाम आते ही वे लोग चुप हो जाते हैं जो कि नशे के कारोबार पर कुछ भी बोलने से डरते हैं। मगर उन लोगों को इस चुप्पी का फायदा मिल रहा है जो इसका अवैध काला धंधा करने में लगे हैं। ऐसे में बड़े कालाबाजारियों द्वारा कोरोना कर्फ्यू के नाम पर झूठी अफवाहें फैलाकर गुटखे तंबाकू की दुगुनी राशि लेकर ब्लेक मार्केट में बेच रहे है। बड़े व्यापारियों की इस काली साजिश के तहत जिला कठुआ में बड़े गुटखा व्यापारियों ने एक साथ सप्लाई भी रोक दी। जैसे ही यह सप्लाई रोकी गई तो लोगों में हड़कंप मच गया। छोटी दुकानों पर गुटखा तंबाकू के दाम बढ़ा दिए गए। यहां तक की छोटी दुकानों को भी बड़े कारोबारी ऊंचे दामों में गुटखा तम्बाकू बेचने लगे। यह दाम कई गुणा ज्यादा करके काला धन बटोरने की साजिश रची गई। जिला कठुआ में थोक व्यापारियों की ओर से छोटे-छोटे दुकानदारों को मंहगे दामों में तम्बाकू उत्पादों को बेचा जा रहा है। जिसके कारण बाजार में गुटखा, तम्बाकू उत्पादों की कमी होने से यह दुगुनी मंहगी हो गई है। इतना ही नहीं सिगरेट व बीड़ी के दामों में भी रेट बढ़ा दी गयी है। वर्तमान में पांच रुपये के गुटखें के दस व दस रुपये के गुटखा की कीमत 15 से 20 रुपये तक वसूली जा रही है। आलम यह है कि तम्बाकू का सेवन करने वाले सोकर उठने से लेकर रात होने तक गुटखा तम्बाकू की तलाश में लगे रहते है। जिला में कई स्थानों पर मंहगे दामों में तम्बाकू उत्पाद बेचे जा रहे है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन क्षेत्र में बढ़ते गुटखा के कालाबाजारी करने वालों को देखकर भी मूकदर्शक बना हुआ है। जब तक यह कालाबाजारी नही रुकेगी तब तक आमजन दुकानदारों से अधिक प्रशासन को कोसता रहेगा। वहीं कार्यवाही के बाद भी कालाबाजारी नहीं रुकना प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न अंकित करती हैं। जिला प्रशासन को चाहिए कि बिना किसी देर किए तत्काल ऐसे कालाबाजारियों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए ताकि आमजन को राहत मिल सके। हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन/बलवान

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