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‘मोक्ष प्राप्ति का सबसे सहज साधन सत्संग: सुभाष शास्त्री‘

उधमपुर, 4 फरवरी (हि.स.)। रठियान गांव में जारी श्रीमद् भागवत सप्ताह के वीरवार को चौथे दिन संगत को समझाया कि मनुष्य जीवन में विवेक-वैराग्य का होना अति आवश्यक है। मनुष्य में यदि विवेक-वैराग्य नहीं तो मानो कुछ भी नहीं, अथवा प्रभु प्रीति व मोह की निवृति नहीं तो समझो सुख-शांति व कल्याण की प्राप्ति भी नहीं। विवेक-वैराग्य, प्रभु प्रीति व मोह की निवृति का उपाय है सत्संग और हरि कथा। शास्त्री जी ने कहा कि सत्संग के बिना हरि कथा सुनने को नहीं मिलती, उसके बिना मोह नहीं भागता और मोह के गए बिना श्री रामचन्द्र जी के चरणों में दृढ़ प्रेम नहीं होता। शास़्त्री जी ने कहा कि महापुरूषों का कथन है कि बिना सत्संग विवेक न होई, मोक्ष प्राप्ति का सबसे सहज साधन सत्संग है। तपस्या, त्याग आदि से भी भगवान उतने प्रसन्न नहीं होते जितने सत्संग से होते हैं। प्रगाढ़ प्रेम से सत्संग द्वारा ईश्वर को प्राप्त करना सबसे सरल उपाय है। शास्त्री जी ने आगे समझाया कि मनुष्य सदैव सत्संग की अमृतधारा में डुबकी लगाता रहे तो अपने जीवन को सफल बना सकता है। सत्संग को निरंतर सुधार की प्रक्रिया माना जा सकता है, जो प्रेम और सद्भावना से जीवन की वृत्तियों का परिमार्जन करता है। जीवन में एक बार यदि स्वयं सुधार का मार्ग मिल जाए, तो आत्मा द्वार का लक्ष्य पूर्ण हो सकता है। जीवन में सुख-शांति, समृद्धि सत्संग से संभव है। जीवन के तमाम अनुतरित प्रश्नों के उत्तर हमें सत्संग के माध्यम से मिल जाते हैं। अतः मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है सत्संग। जो हमारे विचारों को शुद्ध करने में सक्षम रहता है, जिसके परिणाम में हमें आत्मिक शांति प्राप्त होती है। इसलिए सदा सत्संग करें। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान ----------hindusthansamachar.in

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