
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। चांद पर भारत की ऐतिहासिक फतेह का समय बेहद करीब है। भारत द्वारा लॉन्च चंद्रयान-3 अगले कुछ घंटों में ही चांद पर लैंड होने के लिए तैयार है। चंद्रयान-3 23 अगस्त को शाम करीब 6 बजकर चार मिनट पर ISRO द्वारा सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी। इसमें 15 से17 मिनट लगेंगे। अगर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो वो चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।
23 अगस्त को नही तो 27 अगस्त चांद पर उतर सकता है चंद्रयान 3
हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर ISRO यह तय करेंगा कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। इसरो के वैज्ञानिक नीलेश एम देसाई के मुताबिक, अगर चंद्रयान 3 को 23 अगस्त को लैंड नहीं कराया जाता है, तो फिर इसे 27 अगस्त को भी चांद पर उतारा जा सकता है। इसरो के मुताबिक, लैंडिंग के लिए निर्धारित समय से ठीक 2 घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम निर्णय होगा। लैंडिंग ठीक होने पर रोवर अगले कई दिनों तक चांद पर रहकर इसके कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता है।
14 जुलाई लॉन्च हुआ था चंद्रयान 3
आपको बता दें इससे पहले भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 की साल 2019 में सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी। जिसके बाद भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने तीसरे मिशन की तैयारी शुरू की। ISRO ने अपने इस चंद्र मिशन में चंद्रयान-2 में हुईं कमियों को बारीकी से अध्ययन कर कई बदलाव किए, जिससे इसकी सॉफ्ट लैंडिंग आसानी से कराई जा सके। इस मिशन को ISRO ने करीब कुल 615 करोड़ के बजट में पूरा किया है। ISRO ने चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया था।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का किया स्वागत
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने सोमवार को बताया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया है। दोनों के बीच द्विपक्षीय संपर्क स्थापित किया गया है। टू-वे कम्युनिकेशन के स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर से कहा- 'स्वागत है दोस्त!'। उल्लेखनीय है कि साल 2019 में भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया था लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग में गड़बड़ी हो गई थी। चंद्रयान-2 क्रैश हुआ लेकिन इसने अपना काम किया था। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पिछले 4 साल से चांद के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहा है और अपना काम कर रहा है।
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
चांद पर लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकाला जाएगा। रोवर चांद की सतह पर चलेगा और आगे का काम शुरू करेगा। चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ये रोवर एक लूनर डे (चंद्र दिवस) का वक्त वहां गुजारेगा। एक लूनर डे 14 दिनों का होता है। विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। इन फोटोज को पृथ्वी पर सेंड किया जाएगा। रोवर इसरो के लिए चांद पर कई तरह के वैज्ञानिक परीक्षण करेगा, इससे चांद पर मौजूद कई गहरे राज भी खुल सकते हैं।