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देहरा में सीयू परिसर का रास्ता हुआ साफ, केंद्र ने भूमि सीयू के नाम हस्तांतरित करने की दी अनुमति

धर्मशाला, 08 जून (हि.स.)। कांगड़ा जिले के देहरा में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राज्य सरकार को देहरा स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर के लिए प्रस्तावित भूमि संस्थान के नाम हस्तांतरित करने की अनुमति दे दी है। देहरा में सीयूएचपी परिसर के लिए प्रस्तावित वन भूमि पहले राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के नाम हस्तांतरित की गई थी। हालांकि, परिसर का निर्माण शुरू होने से पहले भूमि को सीयूएचपी के नाम पर स्थानांतरित किया जाना था। उच्च शिक्षा विभाग से सीयूएचपी को जमीन हस्तांतरित करने की फाइल अब राज्य के राजस्व विभाग के पास पड़ी है। एक बार जब राजस्व विभाग सीयूएचपी में भूमि हस्तांतरित कर देता है तो यह पहली भूमि होगी जो राज्य के कांगड़ा जिले में स्थापित होने के बाद 2010 के बाद से संस्थान के सीधे कब्जे या स्वामित्व में होगी। जानकारी के मुताबिक देहरा में 200 हेक्टेयर से अधिक भूमि सीयूएचपी के नाम पर हस्तांतरित की जाएगी। भारत सरकार पहले ही सीयूएचपी के लिए करीब 400 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे चुकी है। यह उम्मीद की जा रही थी कि सीयूएचपी परिसर का निर्माण जल्द ही शुरू हो सकता है, जब जमीन देहरा में संस्थान के नाम पर स्थानांतरित कर दी गई थी। हालांकि देहरा में सीयूएचपी के नाम पर जमीन के हस्तांतरण के लिए लगभग सभी रास्ते साफ कर दिए गए हैं, लेकिन धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के जदरांगल क्षेत्र में लगभग 500 कनाल वन भूमि के हस्तांतरण की फाइल अभी भी लंबित थी। वहीं इस सब के पीछे केंद्रीय राज्य वित मंत्री अनुराग ठाकुर का अहम रोल रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने सीयूएचपी के दो परिसरों का प्रस्ताव रखा था, जिनमें से एक धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के जदरांगल में और दूसरा देहरा में है। सीयू के ज्यादा से ज्यादा कैंपस को अपने-अपने इलाके में ले जाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेताओं के बीच खींचतान चल रही थी। हालांकि पिछले चार साल से अधिक समय से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार थी, लेकिन सीयू के लिए भूमि आवंटन का मुद्दा लंबित था। सीयू परिसर का निर्माण अंततः देहरा में शुरू हो सकता है क्योंकि भूमि संस्थान के नाम पर स्थानांतरित कर दी जाएगी। हालांकि सीयूएचपी की स्थापना 2010 में हिमाचल के कांगड़ा जिले में हुई थी, लेकिन यह अभी भी बिना किसी स्थायी परिसर के था। सीयूएचपी का परिसर धर्मशाला, शाहपुर और देहरा में तीन स्थानों पर फैला चल रहा है। स्थायी कैंपस नहीं होने से संस्थान के छात्र-छात्राएं व शिक्षक वर्ग को परेशानी हो रही है। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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