फार्म में जाने के लिए अलग कपड़े पहने मुर्गीपालक, बर्ड फ्लू को लेकर विभाग ने जारी की एडवायजरी
ऊना, 09 जनवरी(हि.स.)। कांगड़ा जिला में बर्ड फ्लू का मामला सामने आने के बाद पशु पालन विभाग ने जिला ऊना के मुर्गी पालकों के लिए एडवाजरी जारी की है। इस संबंध में जानकारी देते हुए पशु पालन विभाग के उप निदेशक डॉ. जय सिंह सेन ने बताया कि प्रवासी पक्षियों में में पाया गया फ्लू का वायरस पालतू मुर्गियों में न फैल जाए, इसके लिए बीमारी की रोकथाम व नियंत्रण के लिए जरूरी एहतिहात बरतना आवश्यक हैं। डॉ. सेन ने कहा कि फार्म व बाड़े में जाने के लिए मुर्गी पालकों को अलग कपड़ों तथा जूतों का इस्तेमाल करना चाहिए। फार्म व बाड़े के बाहर फुटपाथ बनाएं। जिसमें फिनायल अथवा अन्य कीटाणुनाशक घोल का प्रयोग करें। फार्म व बाड़े में जाने से पहले साबुन से हाथ धो कर जाएं। फार्म के चारों तरफ नियमित रूप से चूने का छिड़काव करें। फार्म में पड़े छिद्रों को बंद करें, जिनमें चूहे व नेवले अंदर प्रवेश न कर सकें। फार्म व बाड़े के चारों ओर उगी ऊंची झाडिय़ां व ऊंचे पेड़ों की टहनियों को काट दें। जिसमें कोवे, चील व गिद्ध जैसे मांसाहारी पक्षी उस पर न बैठे सकें। मुर्गी पालकों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मांसाहारी व प्रवासी पक्षियों का मल किसी भी तरीके से फार्म में रखी मुर्गियों के संपर्क में न आएं। डॉ. जय सिंह सेन ने बताया कि घरेलू मुर्गी पालन या देसी मुर्गी पालने वाले किसानों की मुर्गियां अकसर भोजन की तलाश में नाली व घर के आसपास घूमती रहती हैं। लेकिन इसके लिए किसानों को विशेष ध्यान देना चाहिए और एहतियात के तौर पर उनके दाने-पानी की व्यवस्था बाड़े में ही उपलब्ध करनी चाहिए। ऐसा करने से मुर्गियों को भोजन के लिए खुले में विचरण ना करना पडें। उपनिदेशक पशु पालन विभाग ने बताया कि मुर्गी फार्म से निकलने वाले कूड़े में अकसर अनाज के दाने रहते हैं। इसलिए किसानों को कूड़े का उचित प्रबंध करना चाहिए, जिसमें पक्षी व चूहे उस तरफ आकर्षित न हों। मुर्गी फार्म में मृत पक्षियों के लिए अलग से गड्ढ़े की व्यवस्था करनी चाहिए। जिसमें नेवले और आवारा कुत्ते व जंगली जानवर आकर्षित न हों। गड्ढों में मृत पक्षियों को दबाने से पहले शवों के ऊपर नमक व चूने की एक परत फैलाएं। हिन्दुस्थान समाचार/विकास/सुनील-hindusthansamachar.in