नई दिल्ली रफ्तार डेस्क। हिमाचल में सुक्खू सरकार की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है, इसका बड़ा प्रमाण बीते मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा के चुनाव के नतीजें हैं। लेकिन सुक्खू सरकार में अंदरुनी कलह की बात कोई नई नहीं है। सुक्खू की हिमाचल में नई सरकार बनते ही राज्य में असंतोष के कुछ स्वर उठने लगे थे। लेकिन सुक्खू उन स्वरों को सुन नहीं पाएं। जिसका परिणाम हम सबके सामने है।
पार्टी में चलती अंदरूनी कलह के चलते सुक्खू की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है
सुखविंदर सिंह सुक्खू की हिमाचल में सरकार बने ज्यादा समय नहीं हुआ है, मात्र 14 महीने पहले ही कांग्रेस के आलाकमान ने उन्हें राज्य की गद्दी सौंपी थी। पार्टी में चलती अंदरूनी कलह के चलते सुक्खू की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। उन्हें अपनी कुर्सी को बचाये रखने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
सीएम पद की दावेदार खुद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह भी थीं
हिमाचल प्रदेश में अंदरूनी कलह की शुरुआत तो राज्य में सरकार बनाने के समय ही हो गयी थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस जब हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने की स्थिति में आयी तो पार्टी में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कई उठापटक चली। सीएम पद की दावेदार खुद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह भी थीं, जो कि सीएम रेस में काफी आगे चल रही थी।
प्रतिभा सिंह हिमाचल के शिमला जिले से हैं
प्रतिभा सिंह हिमाचल के शिमला जिले से हैं। जहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव परिणाम बहुत ही शानदार रहे थे। कांग्रेस ने यहां 8 में से 7 सीट जीत कर विपक्ष को मात दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ज़्यादातर नजदीकी नेता प्रतिभा सिंह के समर्थन में थे। जिसके कारण उनकी सीएम की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने भी साफ साफ कह दिया था कि उनकी विरासत और परिवार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस आलाकमान विपक्ष की तरफ से परिवारवाद के आरोपों के डर के चलते प्रतिभा को सीएम नहीं बना पाएं। आखिरकार कांग्रेस ने सोच विचार कर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे 59 वर्षीय सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बना दिया। जिससे प्रतिभा सिंह और उनके समर्थक विधायकों में नाराजगी की अंदरूनी लहर शुरू हो गयी थी।
विक्रमादित्य सिंह की बयानबाजी
वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह अपनी पार्टी से अलग बयानबाजी करने में बिलकुल नहीं डरते हैं। हाल में ही राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में उन्होंने अपने को कट्टर हिंदू बताया था और कहा था कि एक हिन्दू होने के नाते उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह भी इस अवसर में अयोध्या में उपस्थित रहें और इतिहास का गवाह बने। उन्होंने अपना यह बयान उस समय दिया था, जब कांग्रेस ने कहा था कि वे प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे। वह कांग्रेस आलाकमान को भी यह जताने में कभी पीछे नहीं रहे कि उनके परिवार की अनदेखी की गई।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आंनद शर्मा भी राज्यसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आंनद शर्मा भी राज्यसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में दावेदारी के लिए हिमाचल कांग्रेस का समर्थन भी मिल रहा था। वहीं कांग्रेस आलाकमान ने हिमाचल प्रदेश से अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा चुनाव में उतार दिया था और 40 विधायकों के साथ सिंघवी की जीत पक्की मानी जा रही थी। लेकिन भाजपा की रणनीति के आगे सब कुछ उल्टा ही हो गया।
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