Relief from High Court for admission of entrance test based courses to students without entrance test
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एंट्रेंस टेस्ट आधारित कोर्सों में बिना एंट्रेंस टेस्ट के दाखिले पर छात्रों को उच्‍च न्‍यायालय से राहत

शिमला, 08 जनवरी (हि. स.)। प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी द्वारा एंट्रेंस टेस्ट आधारित कोर्सों में मौजूदा सत्र के लिए बिना एंट्रेंस टेस्ट के दाखिलों को मनमाना व गैरकानूनी ठहराया है। परन्तु कोर्ट ने बड़ी संख्या में छात्रों के भविष्य को देखते हुए दाखिला ले चुके छात्रों के दाखिले रद्द करने से इन्कार कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले का निपटारा करते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन को आदेश दिए कि वह एक सप्ताह के भीतर पूरा मामला एक्सिक्यूटिव कॉउंसिल के समक्ष रखे। उसके बाद तीन सप्ताह के भीतर कोर्ट ने एक्सिक्यूटिव कॉउंसिल को भी मामले से जुड़े सभी पहलुओं पर उचित निर्णय लेने को कहा है। यह निर्णय चाहे दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही का हो या भविष्य में कोरोना महामारी जैसे हालातों को देखते हुए छात्रों के दाखिलों के तौरतरीकों से जुड़ा हो।कोर्ट ने यह सारा मामला एक सप्ताह के भीतर यूजीसी के समक्ष रखने के आदेश भी दिए। मामले के अनुसार प्रार्थी शिवम ठाकुर ने एंट्रेंस टेस्ट आधारित कोर्सेज में बिना एन्ट्रेंस टेस्ट लिए दाखिलों को गैरकानूनी ठहराए जाने व दाखिलों को रद्द करने की मांग की थी। यूनिवर्सिटी का कहना था कि कोरोना संकट को देखते हुए व यूजीसी की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए सत्र 20-21 के लिए कुछ कोर्सों के दाखिले एंट्रेंस टेस्ट की बजाय अंतिम परीक्षा में मेरिट के आधार पर करवाये गए। कोर्ट ने पाया कि यूनिवर्सिटी के पास पर्याप्त समय था कि वह यूजीसी द्वारा तय समय सीमा के भीतर एन्ट्रेंस टेस्ट करवाकर दाखिले कर सकती थी।कोर्ट ने यह भी पाया कि यूनिवर्सिटी ने वर्ष 1990 के दौरान कुछ कोर्सेज में दाखिले एन्ट्रेंस टेस्ट द्वारा ही करवाये जाने का निर्णय लिया था जो आज तक लागू है। फिर भी उस निर्णय में बिना बदलाव किए इस बार बिना एन्ट्रेंस टेस्ट के दाखिले दे दिए गए जो न केवल मनमाना है बल्कि गैरकानूनी भी है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनील-hindusthansamachar.in

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