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मंडी के समाजसेवी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट लवण ठाकुर का देहांत

मंडी, 30 जून (हि. स.)। मंडी के समाजसेवी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट लवण ठाकुर लवण ठाकुर नहीं रहे ...। वे आईजीएमसी शिमला में उपचाराधीन थे। जहां 30 जून सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी पार्थिव देह शिमला के आईजीएमसी से उनकी जन्म और कर्मभूमि मंडी लाई गई। ब्यास नदी के तट पर स्थित हनुमानघाट में वे पंचतत्व में विलीन हो गए। लवण अपने पीछे वे यादों का लंबा सिलसिला छोड़ गए। उन्हें शहर के विभिन्न वर्गों के लोगों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अंतिम विदाई दी। लवण ठाकुर एक बुद्धिजीवी, रंग कर्मी, आरटीआई एक्टिविस्ट...के रूप में सक्रिय रहे। लेकिन एक रंगकर्मी और लोककलाकारों केलिए समर्पित व्यक्तित्व के रूप में उनकी ख्याति रही है। वरिष्ठ कवि दीनू कश्यप ने कहा कि लवण ठाकुर सही मायने में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज के हर वर्ग की मदद केलिए तत्पर रहने वाला कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता थे। मंडी शहर के सामाजिक एवं सांस्कृतिक आंदोलनों का सूत्रधार बना रहता था। वहीं पर वरिष्ठ छायाकार बीरबल शर्मा ने कहा कि लवण ठाकुर अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व दिखने वाला यह शख्स हर किसी केलिए उम्मीद की किरण नजर आता था। एक दौर ऐसा भी था होटल आर्यन बैंगलो सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र बना रहता था। साहित्यकार मुरारी शर्मा ने मंडी को सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है तो इस सांस्कृतिक शहर की धडक़न के रूप में लवण ठाकुर का योगदान भी कम नहीं है। मंडी शिवरात्रि और कुल्लू दशहरा के दौरान हुए बजंतरी आंदोलन का सूत्रधार लवण ठाकुर ही थे। मुझे याद है मंडी शिवरात्रि के दौरान बजंतरियों को अलग से मानदेय दिलाने केलिए मंडी की सडक़ों पर पहली बार सैंकड़ों बजंतरियों का जुलूस ढोलनगाड़ों के साथ निकला था और डीसी आफिस के प्रांगण में बजंतरियों का धरना हुआ था...हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी शिवरात्रि की जलेब के लिए वहीं से गुजरना था और लवण ठाकुर बजतरियों के बीच ढोल बजाते हुए उनके हक की आवाज उठा रहे थे। पुलिस के घेरे के बीच बजंतरियों का हौंसला सिर्फ वहीं थे। मुख्यमंत्री को दूसरे रास्ते से ले जाना पड़ा था। बाद में हलका लाठीचार्ज और गिरफतारियां भी हुई थी। मगर बजंतरियों के लिए अलग से पारिश्रमिक की घोषणा भी की गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील/उज्जवल

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