Lok Sabha Election: राजघरानों का गढ़ था मंडी, इन राजपरिवारों का रहा दबदबा; देखें लिस्ट

Himachal Pradesh News: मंडी संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। यहां पर कांग्रेस को 14 और जनता पार्टी एवं भाजपा को 6 बार जीत नसीब हुई है। आब देखना ये है कि ये सीट किसके खाते में जाती है।
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मंडी, हि.स.। हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा और क्षेत्रफल के लिहाज से देश में दूसरे नंबर का मंडी संसदीय क्षेत्र अपने शुरूआती दौर से ही रियासती सियासत का गढ़ रहा है। अब तक हुए 20 में से 13 चुनावों में राजपरिवार के सदस्यों का ही दबदबा रहा है। वर्ष 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी कपूरथला राजघराने की राजकुमारी अमृतकौर मंडी की पहली सांसद थी।

राजघराने के लोग भी बन चुके सांसद

हालांकि, दोहरी सदस्यता के चलते मंडी के ही गोपी राम भी 1952 में सांसद बने थे। इसके पश्चात मंडी के राजा जोगेंद्र सेन बहादुर 1957 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। वहीं पर सुकेत रियासत के ललित सेन दो बार 1962 और 1967 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। जबिक हिमाचल की राजनीति के दिग्गज राजा वीरभद्र सिंह तीन बार 1971, 1980 और 2009 में मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं। इसके अलावा भाजपा के प्रत्याशी रहे कुल्लू राजघराने के महेश्वर सिंह भी तीन बार 1989, 1998,1999 में मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उसी प्रकार उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह भी तीन बार मंडी संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज कर चुकी है। वे 2004, 2013 और 2021 के चुनाव जीत कर सांसद बनीं, वर्तमान में भी मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद है। इसके अलावा पं. सुखराम तीन, रामस्वरूप शर्मा दो और गंगा सिंह ठाकुर एक बार मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद बनें हैं।

कांग्रेस का गढ़ रहा है मंडी संसदीय क्षेत्र

मंडी संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है। यहां पर कांग्रेस को 14 और जनता पार्टी एवं भाजपा को 6 बार जीत नसीब हुई है। जिसमें 1952 से 1971 तक लगातार 5 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। देश लागू आपातकाल के बाद 1977 में मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस का वर्चस्व टूटा और जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में गंगा सिंह पहले गैर कांग्रेसी सांसद बनें। इसके बाद कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा ने जीत का परचम फहराया। भाजपा की ओर से 3 बार महेश्वर सिंह और 2 बार रामस्वरूप सांसद बनें। मंडी संसदीय सीट से जीते कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमारी अमृत कौर, वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम केंद्र में मंत्री पद पाने में कामयाब रहे हैं। जबिक भाजपा को अभी तक यह पद नसीब नहीं हुआ है।

विविधता भरा है मंडी संसदीय क्षेत्र

मंडी संसदीय क्षेत्र प्रदेश का सबसे बड़ा भौगोलिक क्षेत्र होने के अलावा विविधताओं से भरा हुआ है। मंडी संसदीय क्षेत्र की सीमाएं एक ओर जहां चीन से मिलती है तो दूसरी ओर इसके अंतर्गत 6 जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिनमें मंडी के 9, कुल्लू के 4, लाहुल-स्पीति, किन्नौर, शिमला का रामपुर और चंबा का भरमौर एक-एक विधानसभा क्षेत्र शामिल है। वहीं पर एक ओर लाहुल-स्पीति जैसा शीत मरूस्थल है तो किनौर, भरमौर जैसे जनजातीय क्षेत्र भी हैं। देवभूमि हिमाचल अपने आप में सांस्कृतिक एवं भौगोलिक विविधता को समेटे हुए है। यहां पर हर गांव में अलग-अलग देवी-देवताओं के देवालयों के अलावा बौद्ध गोंपाओं की धरती स्पीति के अलावा अन्य क्षेत्रों में मंदिर-मस्जिद और गुरूद्वारों की बहुलता के चलते यहां के जनमानस में साम्प्रदायिक सदभाव की भावना भी मौजूद है।

देश के पहले मतदाता भी इस सूबे से थे

हिमाचल प्रदेश में सबसे ऊंचा मतदान केंद्र मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाला मतदान केंद्र टशीगंग सबसे ऊंचा मतदान केंद्र है। मंडी संसदीय क्षेत्र के लिए यह भी गौरव का विषय है कि देश के पहले मतदाता होने का गौरव किनौर के 105 वर्षीय श्याम शरण नेगी को हासिल है। वे अब इस दुनिया में नहीं हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र भौगोलिक एवं राजनैतिक विविधता के साथ-साथ अपने में रोचक पहलुओं को समेटे हुए है।

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