iit-mandi-researchers39-inventions-new-technology-will-detect-brain-problems-associated-with-ischemic-stroke
iit-mandi-researchers39-inventions-new-technology-will-detect-brain-problems-associated-with-ischemic-stroke

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं के आविष्कार : नई तकनीक से इस्केमिक स्ट्रोक से जुड़ी मस्तिष्क समस्याओं का पता चलेगा

शोधकर्ताओं की टीम को इस आविष्कार के लिए हाल में यूएस पेटेंट भी मिल मंडी, 03 मई (हि. स.)। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं इनोवेटरों ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया है जिसकी मदद से इस्केमिक स्ट्रोक जैसी मस्तिष्क समस्याओं में नसों के कार्यों और मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में बदलाव का अध्ययन करना आसान होगा। इस तकनीक से मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्सों का पता लगाने और वर्गीकृत करने में मदद मिलेगी। ये समस्याएं न्युरोलॉजिकल बीमारियों से होती हैं या इनकी वजह से ये बीमारियां होती हैं। डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी, एसोसिएट प्रोफेसर, कम्प्युटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के नेतृत्व मेें किए गए इस शोध के परिणाम जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल इंजीनियरिंग इन हेल्थ एंड मेडिसिन में प्रकाशित किए गए। गौरतलब है कि टीम को इस आविष्कार के लिए हाल में यूएस पेटेंट भी मिल गया है। डॉ. रॉय चौधरी के इस शोध में सहयोगी हैं डॉ. अभिजीत दास, न्यूरोलॉजिस्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस, कोलकाता और डॉ. अनिर्बन दत्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, रेस्टोरेटिव न्यूरो रिहैबलिटेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग, बफलो विश्वविद्यालय, अमेरिका। आईआईटी मंडी टीम के आविष्कार का आधार यह तथ्य है कि नव्र्स की कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं, जिसे न्यूरोवास्कुलर कपलिंग कहा जाता है उनके बीच जटिल परस्पर प्रतिक्रियाएं होती हैं जिससे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह नियंत्रित होता है। इस्केमिक स्ट्रोक जैसी बीमारियों का एनवीसी पर प्रतिकूूल प्रभाव पड़ता है। न्यूरोवैस्कुलर अनकपलिंग के चलते ऐसे मामले होते हैं, जिनमें नर्व के इम्पल्स रक्त प्रवाह का संचार नहीं कर पाते हैं। इसलिए एनवीसी का समय से पता लगना ऐसी बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है। डॉ. चौधुरी ने बताया कि हमारी विधि में मल्टी-मोडल ब्रेन स्टिमुलेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है ताकि न्यूरोवास्कुलर यूनिट के विभिन्न कंपोनेंट को अलग-अलग स्टिमुलेट किया जाए और ईईजी से इसके परिणाम स्वरूप विद्युत तंत्रिका संकेतों को और नियर इंफ्रारेडस्पेक्ट्रोस्कोपी से रक्त प्रवाह को देखा जाए। आसान शब्दों में इलेक्ट्रोड के जरिये मस्तिष्क में गैरहानिकारक विद्युत प्रवाह किया जाता है और नव्र्स की प्रतिक्रिया और रक्त प्रवाह के संदर्भ में मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं को एक साथ इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (ईईजी) और नियर-इन्फ्ररेड स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से मापा जाता है। हालांकि ईईजी और एनआईआरएस का पहले से ही अलग-अलग उपयोग हो रहा है पर आईआईटी मंडी के इनोवेटरों द्वारा विकसित प्रोटोटाइप ने उन्हें जोड़ कर एकल उपचार इकाई बना दी है ताकि एनवीसी की अधिक सटीक तस्वीर मिले। इससे प्राप्त आंकड़े गणित मॉडल में डाल कर एनवीसी की समस्याओं का पता लगाना आसान होता है। जिससे न्यूरोलॉजिकल रोगों का स्पष्ट संकेत मिलेगा। इन समस्याओं का पता लगाने के अलावा इस विधि से सटीक पता चलेगा कि अनकपलिंग कहां है जिससे समस्याग्रस्त हिस्से का बेहतर उपचार होगा। शोध प्रमुख ने बताया कि नव्र्स के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन करने से स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के मामलों में तुरंत उपचार का निर्णय लेना आसान होगा। आईआईटी मंडी टीम के इस आविष्कार से न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का निदान एक कदम आगे बढ़ेगा और इन बीमारियों का पता लगाने और बेहतर उपचार करने में मदद मिलेगी। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in