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हिमाचल : कोविड की दूसरी लहर से करोड़ों का फूल कारोबार चौपट, घाटे में उत्पादक

शिमला, 21 मई (हि.स.)। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने राज्य की आर्थिकी को हिला कर रख दिया है। चाहे वह करोड़ों का कारोबार करने वाले व्यापारी हों या छोटे उत्पादक व किसान हों। कोरोना महामारी के कारण हिमाचल में करोड़ों रुपये के फूल कारोबार का धंधा चौपट हो गया है। भले ही कोरोना कफ्र्यू और लॉकडाउन लगने के बाद फूल दिल्ली की मंडियो तक पंहुच रहा है, लेकिन मंडियो में खरीदार न मिलने के कारण 150 से 200 रुपये प्रति बंच बिकने वाला फूल औने पौन दाम में ही बिक रहा है। हिमाचली फूल उत्पादकों को फूलों के सही दाम ना मिलने के कारण पिछले साल की तरह इस बार भी प्रति उत्पादक लाखो का नुक्सान हो रहा है। चूंकि कोविड के पिछले साल भी फूल उत्पादकों को फूलों के दाम ना मिलने के कारण इस बार बड़े पैमाने पर फूल उत्पादको ने फूल की खेती कर रखी थी। उत्पादकों को उम्मीद थी कि इस साल तो फूल सीजन के दौरान शादियो के भी बहुत मुर्हत है, ऐसे में उन्हें फूलों के अच्छे दाम मिलेगे। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने फिर फूल कारोबार पर संकट खड़ा कर दिया है । सोलन जिला के चायल और इसके आसपास लगते क्षेत्र में फूल तैयार हो गए हैं। चायल के महोग,झांझा ,शकोग, चायल और इसके साथ लगते गांव से दिल्ली की मंडियो में फूल भेजा जा रहा है। दिल्ली में 150 से 200 रुपये प्रति बंच बिकने वाला कारनेशन फूल इस बार 10 से 20 रुपये तक बिक रहा है। दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद से ही फूल उत्पादकों की चिंता बढ़ गई थी, क्योंकि पिछले साल भी लॉकडाउन के कारण उनके करोड़ों रुपये के फूल पशुओं का चारा बन गए थे। दरअसल सोलन में अधिक संख्या में फूलों की खेती होती है। चायल के महोग, झांझा, शकोग अन्य क्षेत्रों में अपै्रल माह में पुष्प उत्पादन शुरू हो गया था। फूल दिल्ली की मंडियों में पहुंचाया जा रहा तो रहा है पर फूलों के दाम इतने कम मिल रहे है कि फूलों को दिल्ली ले जाने तक का खर्चा भी नही मिल रहा है। ऐसे में फूल उत्पादको का कहना है कि अगर मंडियो में इसी तरह फूल के दाम रहे तो मजबूरन फूल को पशुओं का चारा बनाना पड़ेगा । जिला सोलन चायल के फूल उत्पादक सुशील वर्मा, बाबू राम वर्मा, प्यारे लाल, मदन लाल और आत्मा राम का कहना है कि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी फूलों को तैयार करने का खर्चा पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। खाद, दवाइयों की दाम भी बढ़ गए हैं। वहीं अब दिल्ली में लॉकडाउन के कारण उत्पादकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। दिल्ली में अबकि बार भी 250 से 200 रुपये तक बिकने वाला फूलो का एक बंच इस बार 10 से 20 रुपये ही बिक रहा है। सुशील वर्मा ने कहा है कि 30 लाख रूपए की लागत से लिलीयम फूल की खेती की गई थी पर इस से 50 हजार मिलना भी मुश्किल हो गया है। कोविड का दौर अगर ऐसा ही रहा तो फूल का कारोबार बंद ही करना मूनासिब रहेगा। बता दें कि शादियों के सीजन में अधिक खपत सोलन का फूलों की खेती के लिए विश्व में काफी मशहूर है। यहां लोग बड़ी संख्या में कारनेशन, लिलीयम, गलेडूलेस, सुरजमुखी, गलदावरी आदि अन्य किस्म के फूलों की खेती करते हैं। पिछले वर्ष लॉकडाउन में कोई खरीदार न मिलने के कारण फूल पशुओं का चारा समेत खेतों में ही सड़ गए थे। वहीं इस बार भी अप्रैल माह में शादी के सीजन से फूल उत्पादकों को अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, क्योंकि फूलों की भारी खपत शादियों में होती है, लेकिन इस बार भी फूल के दाम बुरी तरह से पिट गए है। हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील

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