स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत संगठन ने चीन के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
धर्मशाला, 23 जुलाई (हि.स.)। कोरोना महामारी के चलते चौतरफा घिरे चीन के खिलाफ निर्वासित तिब्बतियों ने भी मोर्चा खोल रखा है। धर्मगुरू दलाईलामा की निवास स्थली और निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय मैकलोड़गंज में आए दिन चीन की खिलाफत हो रही है। इसी कड़ी में बुधवार को स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत संगठन ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के 99वें स्थापना दिवस के मौके पर चीन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। इसके साथ ही संगठन ने 50 फीट लंबा बैनर बनाकर एक भवन में लटकाया जिसमें चीन के राष्ट्रपति का सिर भी लटकाया गया है। बैनर में संगठन ने अपनी मंशा को जाहिर करते हुए बड़े अक्षरों में तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा का नारा लिखा गया है। स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत संगठन की राष्ट्रीय निदेशक रिंझिंन ने कहा कि 23 जुलाई को चीन के लिए सीपीसी का 99वां स्थापना है बेशक खुशी का दिन है लेकिन तिब्बत, हॉंगकांग व तुर्कीस्तान जैसे देशों के लिए विरोध वाला दिन है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की आजादी ही भारत की सुरक्षा है। जब जक तिब्बत आजाद नही होता चीन, भारत के लिए हमेशा चुनौती रहेगा। चीन का इतिहास है कि उसने हमेशा रक्तरजिंत खेल खेला है। 1959 में तिब्बत पर आक्रमण कर करीब एक करोड़ तिब्बतियों को मौत के घाट उतार दिया। आज भी तिब्बत में धर्मगुरू के अनुयायियों पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्हें जेल में बंद किया जा रहा है। चीन में मानवाधिकार नाम की कोई चीज नही है। अभी हाल ही में तिब्बत में धर्मगुरू दलाई लामा के उपर बनाए गए गाने के संगीतकार सहित गायक और उसे शेयर करने वालों को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने भारत सरकार सहित विश्व के अन्य देशों से आग्रह किया कि इस साल अक्टूबर माह में होने वाली मानवाधिकार परिषद् की बैठक में चीन को वोट न करें। उन्होंने भारत सहित विश्व समुदाय से तिब्बत की आजादी के लिए चीन पर दबाव बनाने की मांग करते हुए कहा कि तिब्बत के आजाद होने से जहां भारत की सुरक्षा मजबूत होगी वहीं नेपाल और भूटान जैसे देशों से भी भारत को सहयोग मिलेगा। हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील-hindusthansamachar.in