समुद्र मंथन वाले वासुकि नाग का मिला अवशेष, 5 करोड़ साल पुराना अस्तित्व आया सामने
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समुद्र मंथन वाले वासुकि नाग का मिला अवशेष, 5 करोड़ साल पुराना अस्तित्व आया सामने

Vasuki Naag: गुजरात के कच्छ में स्थित पनंध्रो लिग्नाइट खदान में वैज्ञानिकों ने सर्प की रीढ़ की हड्डी वाले हिस्सों के 27 अवशेष खोजे हैं।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। हमने समुद्र मंथन की पौराणिक गाथाओं में वासुकि नाग के बारें में बहुत सुना था। जिसके अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए हमारे वैज्ञानिक ने इसका आधार खोज डाला है। दरअसल आइआइटी रुड़की के एक शोध में गुजरात के कच्छ में स्थित खदान से एक बहुत बड़े सांप की रीढ़ की हड्डी के अवशेष मिले हैं। इस अवशेष को 4.7 करोड़ साल पुराना आंका जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसकी तुलना पौराणिक गाथाओं में वासुकि नाग से करते हुए, इसका नाम ही वासुकि इंडिकस रख दिया है। गुजरात के कच्छ में स्थित पनंध्रो लिग्नाइट खदान में वैज्ञानिकों ने सर्प की रीढ़ की हड्डी वाले हिस्सों के 27 अवशेष खोजे हैं।

डायनासोर के अस्तित्व खत्म होने के बाद सेनोजोइक युग में अस्तित्व में आये

इस शोध को करने वाले शोधकर्ता आइआइटी रुड़की के देबाजीत दत्ता है। देबाजीत के अनुसार इन अवशेषों के आकार को देखते हुए वासुकि(शोधकर्ता ने इन अवशेषों का नाम वासुकि इंडिकस रखा है) एक बहुत ही धीमी गति से चलने वाला सांप था। यह सांप भी एनाकोंडा और अजगर के ही तरह जकड़ कर अपने शिकार की जान लेता था। उस समय धरती का तापमान काफी अधिक हुआ करता था, इसलिए यह विशालकाय सांप तटीय इलाकों के आसपास दलदली भूमि में रहता था। वैज्ञानिकों के अनुसार यह विशालकाय सांप 6.5 करोड़ वर्ष पहले डायनासोर के अस्तित्व खत्म होने के बाद सेनोजोइक युग में अस्तित्व में आये थे।

वासुकि इंडिकस की रीढ़ की हड्डी का बड़ा हिस्सा 4.5 इंच का है

वैज्ञानिकों के अनुसार वासुकि इंडिकस की रीढ़ की हड्डी का बड़ा हिस्सा 4.5 इंच का है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध से अनुमान लगाया है कि इस विशालकाय सांप की बेलनाकार शारीरिक संरचना की गोलाई करीब 17 इंच की रही होगी। हालांकि वैज्ञानिक अभी अपने शोध से पता नहीं लगा पाए हैं कि वासुकि इंडिकस क्या भोजन किया करते थे। लेकिन वैज्ञानिकों ने वासुकि इंडिकस के विशाल आकार को देखते हुए अनुमान लगाया है कि यह कछुए, मगरमच्छ और व्हेल की दो आदिम प्रजातियों को खाया करता होगा। वैज्ञानिकों के अनुसार वासुकि इंडिकस नौ करोड़ वर्ष पहले पाए जाने वाले मैडसोइड सर्प वंश से संबंध रखता है। ये प्रजाति 12000 साल पहले विलुप्त हो गई थी। सर्प की यह प्रजाति दक्षिणी यूरेशिया और उत्तरी अफ्रीका में भारत से ही निकल कर फैल गई।

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