राजकोट लोकसभा सीट पर भाजपा के केंद्रीय मंत्री रूपाला के लिए अग्निपरीक्षा, जानें इस सीट का राजनीतिक समीकरण

Loksabha Election 2024: सौराष्ट्र की राजधानी मानी जानी वाली राजकोट लोकसभा सीट पर वर्ष 1989 से भाजपा का कब्जा है। गुजरात में राजकोट को भाजपा का गढ़ माना जाता है।
Rajkot Lok Sabha seat
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राजकोट, (हि.स.)। सौराष्ट्र की राजधानी मानी जानी वाली राजकोट लोकसभा सीट पर वर्ष 1989 से भाजपा का कब्जा है। गुजरात में राजकोट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस शहर ने राज्य के कई बड़े नेता और दो-दो मुख्यमंत्री भी दिए हैं। वर्ष 2001 में राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले यहीं से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हालांकि बाद में इन्होंने इस सीट को छोड़ दिया। इसके अलावा राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी चुनाव लड़कर जीते थे। लोकसभा चुनाव 2024 में राजकोट लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है। इसकी वजह है कि भाजपा ने यहां से कड़वा पाटीदार समाज के केन्द्रीय पशुपालन राज्य मंत्री परसोत्तम रूपाला को अपना उम्मीदवार बनाया है। इनका गृह जिला अमरेली है।

इस बार सभी की निगाहें कांग्रेस उम्मीदवार पर टिक गई है

राजकोट की सीट भाजपा के लिए आसान होने के बावजूद इस बार सभी की निगाहें कांग्रेस उम्मीदवार पर टिक गई है। अब तक की चर्चा के अनुसार कांग्रेस यहां अपने पूर्व नेता प्रतिपक्ष परेश धानाणी को मैदान में उतारने की रणनीति बना रही है। धानाणी ने वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में रूपाला को 16 हजार मतों से हराया था। इसके अलावा वे लेउवा पाटीदार समाज से आते हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख है। वहीं, परसोत्तम रूपाला कड़वा पाटीदार समाज से हैं जिनके मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी पर विश्वास करने वाली यहां की जनता ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भर-भर कर वोट दिया था। यहां की सभी 7 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। विकास और स्वच्छ राजनीति के मुद्दे पर यहां का चुनाव कई मायनों में अहम माना जा रहा है।

भाजपा का गढ़

राजकोट लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का दबदबा माना जाता है। यह गुजरात का एक प्रमुख शहर है। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी। इस शहर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी संबंध है, महात्मा गांधी का बचपन यहीं पर बीता। ये वही शहर है जहां रहकर महात्मा गांधी ने अंग्रेजों और देशवासियों के रहन-सहन के अंतर को करीब से देखा। यहां के दर्शनीय स्थलों में राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्रहालय, रामकृष्ण आश्रम, अजी डेम, सरकारी दुग्ध डेयरी, रंजीत विलास पैलेस आता है, यहां का मुख्य आकर्षण अंतरराष्ट्रीय पतंग मेला है। यहां गुजरात का सबसे बड़ा सोने का बाजार भी है।

1989 से भाजपा का सीट पर कब्जा

राजनीतिक समीकरण की बात करें तो 2019 में यहां से कुंडारिया मोहन भाई कल्याण जी भाई सांसद चुने गए थे, उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कगथरा ललित भाई को हराया था। 2014 में यहां से मोहन कुंदरिया सांसद बने थे। उन्होंने कांग्रेस के नेता कुंवर जी बावलिया को पराजित किया था। यह सीट सोने के व्यापार और सिल्क की साड़ी के लिए प्रसिद्ध है।

यहां 1951 के पहले चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 1984 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। भाजपा ने यहां पहली बार 1989 में जीत हासिल की थी। इसके बाद 2004 तक यहां भाजपा का कब्जा रहा। 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार ने यहां से जीत हासिल की। हालांकि उसके बाद से लगातार यहां भाजपा जीत रही है।

समीकरण की बात करें तो यहां टंकारा, वांकानगर, राजकोट ईस्ट, राजकोट वेस्ट, राजकोट साउथ, राजकोट ग्रामीण और जसदान विधानसभा सीटें हैं, इन सभी विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इन सीटों पर भाजपा आगे रही थी। इस शहर की आबादी 27 लाख से ज्यादा है, इनमें से 64 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं।

कांग्रेस के उम्मीदवार पर टिकी है निगाहें

केन्द्रीय मंत्री के मैदान में उतारने के कारण इस सीट को कांग्रेस भी गंभीरता से ले रही है। जातीय समीकरण को साधते हुए वह यहां से किसी युवा को मैदान में उतारने की कोशिश में है। अभी तक की जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक परेश धानानी को पार्टी यहां से अपना उम्मीदवार बना सकती है। इससे यहां आमने-सामने की टक्कर की संभावना हो जाएगी।

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