Defamation Case: राहुल गांधी को बड़ा झटका, गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका, जानें पूरा मामला

Rahul Gandhi Defamation Case: गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में सजा पर रोक लगाने की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया।
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Rahul Gandhi(photo : twitter)

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दे दिया है। कोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में सजा पर रोक लगाने की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। सुबह से ही यह कयास लगाए जा रहे थे सजा पर रोक लगेगी या सजा बरकरार रहेगी। वहीं कोर्ट में जज के पहुंचते ही याचिका को खारिज कर दिया गया है।

इस मामले में सूरत कोट्र ने राहुल गांधी को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद राहुल गांधी की सदस्यता को लोकसभा कार्यालय के द्वारा खारिज कर दिया गया था। इसके कारण उनकी संसद सदस्यता खत्म हो गई। इतना ही नहीं उनको दिल्ली में मिले सरकारी बंगले को खाली करना पड़ा था जिसके बाद से वह अपनी मां के घर में रह रहे हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

क्या है मामला

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक रैली के दौरान भीड़ के सामने 'मोदी सरनेम' को लेकर बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने कहा था कि सारे चोर के सरनेम में मोदी क्यों होता है। इसके बाद से ही भाजपा उनपर हमलावर हो गई थी। वहीं, भाजपा ने इसे ओबीसी समुदाय से जोड़ कर उनका अपमान करने का मामला बनाया। वहीं कांग्रेस इससे इनकार करती रही। इसी को लेकर बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। इसके बाद करीब चार साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई।

कैसे राहुल को लगा बड़ा झटका

मोदी सरनेम मामले को लेकर सूरत कोर्ट के फैसले के बाद राहुल की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल की संसद सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई की गई थी। बता दें कि यूपी की अमेठी सीट से हारने के बाद राहुल केरल के वायनाड से सांसद बने थे।

क्या है कानून

दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून में प्रावधान है कि अगर किसी सांसद और विधायक को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं।

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