वैदिक गणित पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन
वैदिक गणित पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन

वैदिक गणित पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय मनो-नैतिक शिक्षा और संस्कृति को समर्पित संस्थान 'प्रज्ञानम् इंडिका' और 'शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास' द्वारा संयुक्त रूप से '21वीं सदी में वैदिक गणित' विषय पर शनिवार को राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध शिक्षाविद् और 'शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास' के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने की। दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. तरुण कुमार गर्ग ने वैदिक गणित के महत्त्व, उसकी प्रासंगिकता और प्रकार्यों पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम के प्रारंभ में संगोष्ठी संयोजक एवं 'प्रज्ञानम् इंडिका' के संस्थापक निदेशक प्रो. निरंजन कुमार ने वैदिक गणित के महत्त्व को उद्घाटित करते हुए नए और आत्मनिर्भर भारत में उसके संभावित योगदान की बात की। विशिष्ट वक्ता डॉ. गर्ग ने जगद्गुरु स्वामी श्रीकृष्ण तीर्थ महाराज का उद्धरण देते हुए वेदों को अपार ज्ञान का भंडार और वैदिक गणित को सभी के लिए उपलब्ध सर्वाधिक सरल, सहज और सुबोध विषय बताया। उन्होंने सोलह सूत्रों और तेरह प्रमेयों का व्यावहारिक उपयोग बताते हुए शोध, प्रबंधन, इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी में इनके महत्त्व को रेखांकित किया। मुख्य अतिथि प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि हमें वैदिक गणित सहित समस्त भारतीय ज्ञान विज्ञान के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है। वैदिक गणित में 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने का सामर्थ्य है और इस सदी में यह निश्चित ही अपनी पहचान बनाने में कामयाब होगा। इसकी सफलता के लिए उन्होंने विश्वविद्यालयी प्रयास की जरुरतों पर विशेष बल दिया। अध्यक्षीय वक्तव्य में अतुल कोठारी ने वैदिक गणित के क्षेत्र में मनोयोग से कार्य करने की आवश्यकता बताई। योग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान विज्ञान और पद्धतियां विश्व में पुनः अपनी पहचान स्थापित कर रही हैं। वैदिक गणित को भी सम्मिलित प्रयास से हम उसकी पहचान वापस दिला सकते हैं। वैदिक गणित को बढ़ावा देने के प्रयासों की चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षा के आनंददायक होने की बात पर भी बल दिया। हिन्दुस्थान समाचार/ प्रभात/वीरेन्द्र-hindusthansamachar.in

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