Ramadan Mubarak 2023:  रमजान कब से शुरू हैं और क्या है इस माह की खास बातें, जानें यहां

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि रमजान के महीने में ही पैगंबर मौहम्मद साहब को अल्लाह की तरफ से कुरान की आयतें प्राप्त हुई थीं। इसलिए इस माह में रोजे रखने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
Ramadan Mubarak 2023:  
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। मुस्लिम धर्म के सबसे पाक महीने रमजान की शुरुआत होने वाली है। रमजान मुबारक के महीने को मुस्लिम धर्म में सभी महीनों में सबसे पाक और बरकत वाला माह माना जाता है। इसकी शुरुआत इस्लामिक कैलेंडर हिजरी सवंत के आठवें महीने शाबान के बाद नौवें महीने रमजान से होती है।

अभी तारीख पर नहीं बनी है बात

इस साल 2023 में रमजान की शुरुआत में थोड़ी कंफ्यूजन है, क्योंकि रमजान की शुरुआत चांद के निकलने पर निर्भर होती है। बहरहाल, चांद अंग्रेजी के कैलेंडर के मुताबिक, 22 तारीख को दिखाई देता है तो रमजान 23 मार्च से होंगे। वहीं, अगर इस दिन चांद नहीं दिखाई देता है तो 24 मार्च (शुक्रवार) का पहला रमजान रखा जाएगा।  

जानें, क्यों रखे जाते हैं रमजान माह में रोजे

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि रमजान के महीने में ही पैगंबर मौहम्मद साहब को अल्लाह की तरफ से कुरान की आयतें प्राप्त हुई थीं। इसलिए इस माह में रोजे रखने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

रोजा कितने बजे से कितने बजे तक रखा जाता है

रमजान के महीने में रोजा सूर्योदय यानी शहरी से लेकर सूर्यास्त तक यानि इफ्तार तक होता है। इस दौरान मुस्लिम लोग सहरी में खाना खाकर रोजा रखते हैं। इसके साथ ही उन्हें दिन भर अल्लाह की तरफ से कुछ भी खाने पीने का हुक्म नहीं होता। रोजे के दिन मुस्लिम लोग पांचों समय की नमाज के साथ कुरान शरीफ पढ़ते हैं।

इन चीजों का भी होता है रोजा

रोजेदार को खान-पीने के अलावा कान, आंख और जबान का भी रोजा होता है यानी गलत सुनना, गलत देखना और गलत बोलने पर भी पाबंदी होती है। ऐसा करने पर रोजेदार को अल्लाह की तरफ से पूरा शबाब नहीं मिलता। सूर्यास्त के समय रोजेदार खजूर से अपना रोजा इफ्तार करते हैं।

रोजा रखना किस पर फर्ज है

मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक, 15 साल के बच्चे को बालिक माना जाता है। ऐसे में 15 साल की उम्र के बच्चे पर रोजा रखना फर्ज यानी लाजिम होता है। जो बालिक शख्स इस पाक महीने में रोजा नहीं रखता है, उसे पाप मिलता है। साथ ही अल्लाह उन्हें सजा भी देता है। हालांकि, कुछ ही कठिन परिस्थितियों में ही रोजा छोड़ने का हुक्म है।  

रमजान के बाद मनाई जाती है ईद उल फितर

रमजान के महीने के अंत में रोजेदारों को ईद-उल-फितर त्योहार अल्लाह की तरफ से उपहार के तौर दिया जाता है। इस दिन मुस्लिम लोग पूरा दिन अच्छे-अच्छे पकवान खाकर लुफ्त उठाते हैं। इसके साथ ही एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई देते हैं।

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