फारूक़ी के बिना उर्दू अदब अधूरा : गोपीचंद नारंग
- प्रख्यात उर्दू लेखक शमसुर्रहमान फ़ारूक़ी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन नई दिल्ली, 06 जनवरी (हि.स.)। साहित्य अकादेमी ने बुधवार को प्रख्यात उर्दू लेखक एवं समालोचक शमसुर्रहमान फ़ारूक़ी की स्मृति में आभासी मंच पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इसमें देश के जाने-माने लेखकों और विद्वानों ने सहभागिता की। सभी ने फारूक़ी साहब को उर्दू अदब का युगांतकारी व्यक्तित्व मानते हुए कहा कि उनके जाने से एक युग की समाप्ति हो गई है। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि फ़ारूक़ी साहब उर्दू ही नहीं सभी भारतीय भाषाओं के एक बड़े लेखक थे। उन्होंने उर्दू में दास्तानगोई की परंपरा को पुनर्जीवित किया। अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष गोपीचंद नारंग ने कहा कि फारूक़ी के बिना उर्दू अदब अधूरा है। उनका लिखा हुआ पीढ़ियों तक साथ रहेगा। हिंदी के प्रख्यात आलोचक एवं कवि राजेंद्र कुमार ने उन्हें इलाहाबाद का ‘फ़ख्र’ मानते हुए कहा कि वे अदब और तहज़ीब के सच्चे नुमाइंदे थे और उन्होंने अपनी क़लम की गरिमा हमेशा बनाए रखी। इस अवसर पर फारूकी की बेटी और उर्दू की प्रोफेसर मेहर अफ़शां फ़ारूक़ी ने कहा कि हमारे पास उनके जीवन के हर पल की यादें हैं। हम उन्हें हमेशा अपनी स्मृति में बसाए रखेंगे। इस कार्यक्रम में अनीसुर्रहमान, महमूद फारूक़ी, बेग़ एहसास, हरीश त्रिवेदी, शमीम तारिक़, अनीस अशफ़ाक, अहमद महफूज, इब्ने कँवल, निज़ाम सिद्दीकी, जयंत परमार, ज़मान आज़़ुर्दा एवं साहित्य अकादेमी के उर्दू परामर्श मंडल के संयोजक एवं प्रख्यात उर्दू शायर शीन काफ़ निज़ाम ने भी शमसुर्रहमान फ़ारूक़ी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। हिन्दुस्थान समाचार/ पवन-hindusthansamachar.in