Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के संकट पर राजनीतिक तकरार, 5 रिपोर्ट पर मूक दर्शक बनी सरकार

Delhi: दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध का कोई असर नहीं। दिवाली की रात हुई खूब आतिशबाजी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी हुई खुलेआम अवहेलना
Air Pollution in Delhi
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध का कोई असर नहीं दिखा। दिवाली की रात खूब आतिशबाजी हुई और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी खुलेआम अवहेलना हुई। दिवाली से कुछ दिनों पहले वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण बच्चो के स्कूल भी बंद कर दिए गए थे और कई स्कूलों में बड़े बच्चो की तीन दिन ऑनलाइन शिक्षा दी गयी थी। दिवाली के त्यौहार के मध्य नज़र, पटाखों में प्रतिबंध होने के बावजूद पटाखे खूब धड्ड्ले से बिके, जिसके परिणामस्वरुप दिल्ली में फिर से वायु प्रदूषण ने अपनी जगह ले ली है। यह बहुत ही बड़ी चिंता का विषय है।

राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत ही गंभीर श्रेणी में बना हुआ है

राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत ही गंभीर श्रेणी में बना हुआ है, जो कि बहुत चिन्तन का विषय है। जिन्हे अस्थमा आदि सांस की समस्या है उनके लिए तो बहुत बड़ी समस्या है ही। साथ ही अधिकतर आम आदमी को भी आंखें, सीने और गले में खराश की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बच्चो का तो घर से बाहर निकलना ही मुश्किल हो गया है।

वायु प्रदूषण पर आयी पांच चौकाने वाली रिपोर्ट

1. इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 18 सालो में कैंसर से होने वाली मौते साढ़े तीन गुना तक बढ़ गयी है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के साल 2012 से साल 2016 तक के आंकड़ें के अनुसार, भारत में कैंसर की रजिस्ट्री सबसे ज्यादा दिल्ली में ही हुई है। डॉक्टर इसका कारण दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को ही बता रहे है। इन आकड़ो के अनुसार 0 से 14 साल के बच्चो में कैंसर का प्रतिशत 0.7 से 3.7 प्रतिशत के बीच है। वायु प्रदूषण का सबसे बुरा असर बच्चों पर ही पड़ता है। इसका कारण बच्चो का ज्यादा तेजी से सांस लेने और बाहर फिजिकल एक्टिविटी करने के कारण वायु प्रदूषण के सामने आना होता है।

2. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह से वायु प्रदूषण फैला है, वह बड़ो और छोटो दोनों के लिए घातक है। इस जहरीली हवा में कई प्रदूषक मौजूद हैं, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2), ओजोन (ओटीएच), आदि. यह सभी तत्व इंसानी शरीर के लिए खतरनाक है। इसमें सबसे ज्यादा घातक तत्व है अल्ट्रा फाइन पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (PM2.5). पीएम 2.5 मोटर गाड़ियों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक गतिविधियों, पटाखे उड़ाने से उत्पन्न होती है। दिल्ली में वायु प्रदूषण से अस्तपतालो में मरीजों का भर्ती होना शुरू हो गया है।

3. डाउन टू अर्थ (डीटीई) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण भ्रूण से लेकर उसके स्वाथ्य प्रभाव पर प्रभाव डालता है। इसके कारण समय से पहले प्रसव होने और मृत बच्चे का जन्म होने की संभावना बनी रहती है। जन्म के समय बच्चे के वजन में भी कमी आती है। वायु प्रदूषण के कारण बच्चो के विकास में देरी होना, सांस की दिक्कत होना और एनीमिया का खतरा बना रहता है।

4 . ताज़ा शोध के अनुसार वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोध भी फैला रहा है। एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल निमोनिया जैसे जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए होता है। मगर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण छोटी छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी लोग एंटीबायोटिक प्रतिरोधक दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसके कारण शरीर में ऐसे जीवाणु बनना शुरू हो जाते है जो एंटीबायोटिक दवाओं का सामना करने के लिए समर्थ होते है। ऐसा चीन और यूके की शोध रिपोर्ट में आया है। जो कि बहुत ही खतरनाक है।

5. डब्ल्यूएचओ की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले पांच साल में वायु प्रदूषण के कारण जहरीली हवा के कारण सबसे ज्यादा कम 5 साल से कम उम्र के बच्चों की असामयिक मौत हुई हैं। इनकी रिपोर्ट के अनुसार 2016 में वायु प्रदूषण के कारण 101,788 बच्चों की मौत हुई थी जिसमे बच्चों की उम्र 5 साल से कम थी। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार हर एक घंटे में 7 बच्चो की मृत्यु हो जाती है, जिसमे मरने वालो की ज़्यदातर संख्या लड़कियों की होती है।

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