Sengol History: नए संसद भवन में स्थापित होगा 'सेंगोल', जानिए ऐतिहासिक राजदंड के पीछे की कहानी

'सेंगोल' को कई वर्षों तक प्रयागराज संग्राहालय में रखा गया था। प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर तय हुआ कि नई संसद में उन्हें पूरे सम्मान के साथ लाया जाएगा।
Sengol History: नए संसद भवन में स्थापित होगा 'सेंगोल'
Sengol History: नए संसद भवन में स्थापित होगा 'सेंगोल'

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। देश को नया संसद भवन जल्द मिलने जा रहा है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को करेंगे। इसी पर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। इस अवसर पर नए संसद भवन में ऐतिहासिक छड़ी 'सेंगोल' स्थापित की जाएगी। इस सेंगोल को यह माना जाता है कि यह हमारी आजादी के वक्त सत्ता हस्तांतरण का एक प्रतीक है। यह सत्ता इंग्लैंड से भारत के लोगों को मिली थी।

तमिलनाडु के विद्वान 'सेंगोल' को पीएम मोदी के सामने करेंगे पेश

गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर बुधवार को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विद्वान की ओर से 'सेंगोल' को प्रधानमंत्री मोदी के सामने पेश किया जाएगा। उसी दिन नए संसद भवन में उसे लगाया जाएगा जहां यह हमेशा हमेशा के लिए लग जाएगी।

'सेंगोल' सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक

उन्होंने कहा कि सेंगोल हमारी सांस्कृतिक विरासत है और इसने इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 14 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने इसे इंग्लैंड से स्वीकार कर लिया। 14 अगस्त की रात को पंडित नेहरू ने लॉर्ड माउंटबेटन से स्वीकार किया और सत्ता हस्तांतरण को पूरा किया। पंडित नेहरू ने पवित्र संगोल को तमिलनाडु से लाया था। इसका मतलब यह हुआ कि सत्ता हमारे पास पारंपरिक तरीके से आई।

'सेंगोल' को संसद में लाया जाएगा पूरे सम्मान के साथ

इस 'सेंगोल' को कई वर्षों तक प्रयागराज संग्राहालय में रखा गया था। प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर तय हुआ कि नई संसद में उन्हें पूरे सम्मान के साथ लाया जाएगा। शाह ने कहा कि सत्ता का हस्तांतरण सिर्फ हाथ मिलाने या कागज पर हस्ताक्षर से नहीं होगा, बल्कि यह देश की परंपराओं को अपनाने की एक प्रक्रिया होगी। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री इस अवसर पर लगभग 60,000 श्रमिकों को भी बधाई देंगे, जिन्होंने रिकॉर्ड समय में नई संरचनाएं बनाईं।

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