सैम पित्रोदा: राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु, जिन्होंने छोड़ दी कांग्रेस

Sam Pitroda: प्रधानमंत्री मोदी ने उनके बयानों को मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर खूब हमला किया है। आज हम इस खबर में जानेंगे कि सैम पित्रोदा हैं कौन?
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। अपने बयानों से कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करने वाले सैम पित्रोदा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। हाल में ही वह अपने एक और बयान को लेकर विपक्ष के निशाने में आये हैं और कांग्रेस के लिए समस्या का कारण बने हैं। जिसमे उन्होंने कहा है कि पूर्व के लोग चीनी, दक्षिण के लोग अफ्रीकी दिखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके बयानों को मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर खूब हमला किया है। आज हम इस खबर में जानेंगे कि सैम पित्रोदा हैं कौन?

सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष थे

सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने आज इस पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उन्होंने मनमोहन की सरकार में UN के लिए प्रधानमंत्री का सलाहकार का कार्यभार भी संभाला था। उन्होंने जन सूचना संरचना और नवप्रवर्तन सलाहकार का पदभार भी संभाला था। सैम पित्रोदा को देश में सूचना क्रांति लाने के लिए जाना जाता है। वह एक अच्छे बिजनेसमैन भी हैं। उनकी अमेरिका में कई कंपनियां है।

जिसके आधार पर सैम पित्रोदा ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी

सैम पित्रोदा का जन्म जन्म 17 नवंबर 1942 को ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती परिवार में हुआ था। उन्होंने गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने गुजरात के वडोदरा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से अपनी फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर की डिग्री पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1964 में अमेरिका जाकर अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद उन्होंने भारत में टेली कम्युनिकेशन सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए अमेरिका से वापस लौटने का निर्णय लिया और वर्ष 1981 में इस मुहीम से जुड़ गए। उनके इस सेक्टर में अच्छे कार्य को देखते हुए तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने उन्हें टेलीकॉम के क्षेत्र में अपने अनुभव का प्रयोग करने का मौका दिया।

जिसके बाद सैम पित्रोदा ने देश में इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानी 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स' की स्थापना की थी। सैम पित्रोदा के इस कार्य से प्रभावित होकर तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने उनकी डोमेस्टिक और फॉरिन टेलीकॉम पॉलिसी को आगे बढ़ने का मौका दिया। जिसके आधार पर सैम पित्रोदा ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी। उनके इस क्रांति के दम पर उन्हें वर्ष 2005 में भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी गयी। जिसको उन्होंने वर्ष 2009 तक बखूबी निभाया था। सैम पित्रोदा भारत के दूर संचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

सैम पित्रोदा ने 8 मई 2024 को ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है

सैम पित्रोदा के विवादास्पद बयानों के कारण कांग्रेस ने चाहे उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सैम पित्रोदा को राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु माना जाता था। राहुल गांधी उनसे मिलकर कई मुद्दों में सलाह लिया करते थे। जिसके कारण पीएम मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस पर तंज कसते हुए सैम पित्रोदा को राहुल गांधी का अंकल कह रहे हैं। बता दें कि सैम पित्रोदा ने 8 मई 2024 को ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।

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