Political kissa: जब वीपी सिंह ने कहा था- "हम बीजेपी से लड़ सकते हैं, भगवान राम से नहीं"

Political kissa: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय मानते हैं कि 2024 का आम चुनाव 'राममय' है।
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नई दिल्ली, (हि.स.)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय 44 साल से पत्रकारिता जगत में हैं। इस दौरान उन्होंने सत्ता के गलियारों को बहुत नजदीक से देखा और समझा है और उतनी ही साफगोई से उस पर कलम भी चलाई है। वे किसी धारा या विचारधारा से प्रभावित हुए बिना अपनी राय बेबाकी से रखने के लिए जाने जाते हैं। वरिष्ठ पत्रकार वात्सल्य राय से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह आम चुनाव भी 'राममय' है। कांग्रेस और विपक्षी दलों को भगवान राम और सनातन के अपमान के आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य व संपादित अंश-

ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय मानते हैं कि 2024 का आम चुनाव 'राममय' है। वे कहते हैं कि हाल में कांग्रेस से अलग हुए नेताओं ने पार्टी पर 'भगवान राम के अपमान' का आरोप लगाया है और ऐसे बयानों की 'राजनीतिक अहमियत असाधारण' है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'हिंदू आस्था की रक्षा के लिए खड़े हैं और चुनाव मैदान में विपक्षियों को चुनौती दे रहे हैं।' ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उसमें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के स्थापना कार्यक्रम की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, "लोगों का पांच सौ साल का जो सपना था, वो साकार हुआ है।"

चुनाव में राम नाम का प्रभाव

भारतीय राजनीति में भगवान श्रीराम के प्रभाव की चर्चा करते हुए रामबहादुर राय ने बताया, "वर्ष 1991 के चुनाव के बाद एक बार मैंने पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) से पूछा था कि आपकी पार्टी क्यों हार गई।" तब वीपी सिंह ने जवाब दिया था, "हम बीजेपी से लड़ सकते हैं लेकिन भगवान राम से नहीं लड़ सकते।" रामबहादुर राय याद दिलाते हैं कि 1991 के चुनाव में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की राम रथयात्रा और अयोध्या का प्रश्न ही मुख्य मुद्दा था।

वे कहते हैं, "1991 के चुनाव में वीपी सिंह की पार्टी 1989 के मुकाबले बहुत पीछे चली गई जबकि भाजपा का ग्राफ बढ़ा। 1989 में भाजपा के पास 85 लोकसभा सीटें थीं और 1991 में भाजपा के लोकसभा सांसदों की संख्या 120 हो गई।"

क्या कांग्रेस को होगा नुक़सान?

रामबहादुर राय मानते हैं कि 18वीं लोकसभा के लिए हो रहे आम चुनाव के भी 'राममय होने के लक्षण' साफ़ नजर आते हैं। कांग्रेस से अलग हुए नेताओं के हालिया बयानों की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा, "जो लोग भाजपा में कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से आ रहे हैं, उनके बयान आप ध्यान से देखिए, उनमें एक समानता है। ये सभी कह रहे हैं कि कांग्रेस ने भगवान राम का अपमान किया है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाकर उन्होंने उस अवसर को खो दिया है। दूसरी तरफ लोगों को (समारोह में) न जाने के लिए कह कर उन्होंने (भगवान राम का) अपमान किया है। कांग्रेस छोड़ने वालों का कहना है कि हम सनातन धर्म का अपमान सहन नहीं कर सकते। इसलिए हम कांग्रेस छोड़ रहे हैं। कमोबेश यही सबका बयान है। ये दिखने में छोटा बयान है। दिखने में साधारण सा बयान है लेकिन इसका जो राजनीतिक महत्व है, वो बहुत असाधारण है।"

उल्लेखनीय है कि हाल ही में कांग्रेस से अलग हुए गौरव वल्लभ ने पार्टी छोड़ने की जानकारी देते हुए कहा था कि वो 'सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते हैं।' पार्टी से बाहर किए गए और किसी समय कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी आरोप लगाया था कि कांग्रेस में 'कुछ लोग भगवान राम से नफरत करते हैं।' प्रधानमंत्री मोदी भी कांग्रेस पर 'भगवान राम का अपमान' करने का आरोप लगाते रहे हैं।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में आयोजित समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को न्योता दिया गया था, लेकिन इन तीनों ने ही इसे अस्वीकार कर दिया था। कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा था, "भाजपा और आरएसएस लंबे समय से इस (राम मंदिर) मुद्दे को राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाते रहे हैं। एक अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है।"

आस्था की रक्षा में प्रधानमंत्री मोदी

रामबहादुर राय ने इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्हें पहले के सभी प्रधानमंत्रियों से अलग बताया। उन्होंने कहा, "हिंदुस्थान के किसी दूसरे प्रधानमंत्री का आप नाम नहीं ले सकते जो हिंदू आस्था की रक्षा के लिए खड़ा हो और चुनाव के मैदान में विपक्षी को चुनौती देता हो। हिंदुस्थान में आज़ादी के बाद कम से कम 1991 तक प्रगतिशीलता, आधुनिकता और धर्मनिरपेक्षता का एक ही अर्थ होता था कि आप कितने धर्म विरोधी हैं।"

प्रधानमंत्री मोदी के तमिलनाडु में दिए एक भाषण का ज़िक्र करते हुए रामबहादुर राय ने कहा कि मोदी ने साफ तौर पर कहा था कि ये लोग हिंदू आस्थाओं पर हमला करते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी अपनी हिन्दू आस्था के प्रति न केवल दृढ़ हैं बल्कि वे अपनी धार्मिक यात्राओं में उसको प्रकट भी करते हैं और उन आस्थाओं और परम्पराओं का पालन भी करते हैं। श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए उनके द्वारा किए गए संकल्प और उस दौरान उन सभी परम्पराओं के पालन से वे लोगों के बीच खासे लोकप्रिय भी हुए और इससे ही एक बार फिर राम सभी की चर्चा के बीच आ गए हैं।

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