नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। किसी भी देश में होने वाले आम चुनाव ना सिर्फ राजनीति पार्टियों का भविष्य तय करती है। बल्कि देश की जनता से लेकर इकोनॉमी सबकुछ इसी चुनाव पर निर्भर होता है। आने वाले कुछ मीना के अंदर देश में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। भारत में 140 करोड़ की जनता के बीच आम चुनाव पारदर्शी और संपूर्ण तरीके से सफल रहे इसकी पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग यानी इलेक्शन कमिशन की होती है। चुनाव आयोग जैसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है सियासी पार्टियों चुनावी प्रचार में जुट जाती हैं। इतना ही नहीं चुनाव तारीखों के बाद शासन प्रशासन के कामकाज में नजर चुनाव आयोग ही रखता है। इस दौरान निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर तक प्रशासनी फिर बादल की जिम्मेदारी भी चुनाव आयोग की होती है। जब तक चुनाव पूर्ण रूप से संपन्न नहीं हो जाते शासन और प्रशासन चुनाव आयोग के अंतर्गत ही कार्यकर्ता है आपको बता दें कि आचार संहिता लगने के बाद कोई भी सरकारी योजना लागू नहीं की जा सकती। आखिर चुनाव की पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर ही क्यों होती है और यह चुनाव आयोग क्यों बना, कब इसका गठन हुआ और इसके क्या-क्या कार्य हैं चलिए आपको बताते हैं
क्या होता है चुनाव आयोग?
भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां हर 5 साल में आम चुनाव होते हैं। चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास होती है। भारतीय निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक स्वायत संस्था है। जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत देश में सभी प्रकार के चुनाव कराने की जिम्मेदारी निभाती है। निर्वाचन आयोग देश में लोकसभा चुनाव राज्यसभा चुनाव विधानसभा चुनाव विधान परिषद चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव करवाती है।
कब हुई थी चुनाव आयोग की स्थापना?
किसी भी देश का लोकतांत्रिक होने का सीधा मतलब होता है की वहां की आम जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि ही शासन व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालता है। आजादी के 3 साल बाद यानी 26 जनवरी 1950 को जब देश में संविधान लागू हुआ तो उसे एक दिन पहले यानी 25 जनवरी 1950 को निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई। इसके बाद पहला आम चुनाव साल 1952 में निर्वाचन आयोग की देखरेख में कराया गया। आपको बता दें कि भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
निर्वाचन आयोग के क्या कार्य होते है?
निर्वाचन आयोग का कार्य देश में किसी भी प्रकार के चुनाव को पारदर्शी और संपूर्ण तरीके से करना होता है। चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के साथ ही आचार संहिता की भी घोषणा करता है। आपको बता दें कि साल 1971 में जब देश में पांचवी लोकसभा के चुनाव हुए थे।b तब पहली बार आचार संहिता लागू की गई थी। तब से आचार संहिता की प्रक्रिया चली आ रही है।
* चुनाव आयोग का मुख्य कार्य लोकसभा राज्यसभा राष्ट्रपति चुनाव उपराष्ट्रपति चुनाव विधानसभा चुनाव विधान परिषद और उपचुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया कराना होता है।
* देश के सभी राजनीतिक दलों के विवादित मामलों को देखने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की ही होती है।
* चुनाव निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन करना चुनाव आयोग का कार्य है
* मतदाताओं को विभिन्न तरीके से मतदान के लिए उत्साहित करना और तैयार करना भी चुनाव आयोग का कार्य है
* मतदान और मतगणना केदो पर सुचारू रूप से सभी प्रकार की व्यवस्था करना और चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के चुनावी खर्च की सीमा तय करना चुनाव आयोग का कार्य है।
* देशभर में चुनाव पारदर्शी के साथ हो इसके लिए अगर चुनाव आयोग को किसी भी प्रकार की प्रशासनिक शिकायत मिलती है। तो वह तबादले भी कर सकता है।
चुनाव आयोग के अधिकार
चुनाव की पारदर्शिता को लेकर चुनाव आयोग चुनाव में हो रही किसी प्रकार की गड़बड़ी धांधली की शिकायत मिलने पर कार्यवाही कर सकता है। यहां तक की पहले से जारी कानून के नियमों में अगर पालन नहीं हो रहा है तो चुनाव आयोग इस पर एक्शन ले सकता है। चुनाव के वक्त फर्जी वोटिंग की शिकायत मिलती है तो चुनाव आयोग मतदान की पूरी प्रक्रिया को भी रद्द करने का अधिकार रखता है। इसके अलावा मतगणना से पहले एग्जिट पोल पर भी रोक लगा सकता है। आपको बता दे कि चुनाव आयोग को सभी प्रकार के अधिकार संविधान से ही मिले हैं। संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग और उसके सदस्यों की शक्तियां ,कार्य, पात्रता आदि इन्हीं अनुच्छेद से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी भी राज्यपाल को निर्वाचन अधिसूचना जारी करने का निर्देश दे सकता है। लेकिन इससे पहले उसे निर्वाचन आयोग से सलाह लेनी पड़ेगी।
कौन करता है चुनाव आयोग का नेतृत्व?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 25 जनवरी 1950 से लेकर 15 अक्टूबर 1989 तक निर्वाचन आयुक्त ही इलेक्शन कमीशन का नेतृत्व करते थे। तब उनके साथ एक दल हुआ करता था। लेकिन उसी साल यानी 1989 में निर्वाचन आयुक्त संशोधन नियम में बदलाव हुआ। मैं एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त बनाए गए। तब से लेकर अभी तक इस प्रक्रिया के तहत व्यवस्था काम कर रही है। निर्वाचन आयोग का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।
कितना होता है मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल?
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जिम्मेदारी देश के राष्ट्रपति के पास होती है। चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या फिर उनके आयु के अधिकतम 65 साल तक हो सकता है। अगर मुख्य चुनाव आयुक्त की आयु 65 साल हो चुकी है और कार्यकाल बाकी है तो फिर उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होता है। आपको बता दे की मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव IAS रैंक के अधिकारी होते हैं। अन्य सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समकक्ष का दर्जा मिला होता है। इन्हें उनके ही बराबर वेतन और लाभ मिलता है। अगर कोई मुख्य चुनाव आयुक्त किसी धांधली में आरोपी पाया जाता है तो उसे सिर्फ महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है।
चुनाव आयोग का बजट और खर्च
चुनाव में होने वाले बजट का खर्च चुनाव आयोग और केंद्रीय वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी होती है। अगर लोकसभा चुनाव हो रहे हैं तो इसका खर्च केंद्र सरकार उठाती है वहीं विधानसभा चुनाव के लिए राज्य सरकार वा केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती है। मान लीजिए अगर लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो राज सब राज सरकार और केंद्र सरकार समान रूप से खर्च को बांट लेते हैं। और फिर दोनों ही चुनाव में पैसा खर्च करते हैं।
जानिए अब तक कौन रहा मुख्य चुनाव आयुक्त
सुकुमार सेन , 21मार्च 1950-19 dec 1958
केवीके सुंदरम, 20dec 1958- 30 sep 1967
एसपी सेन वर्मा, 1oct 1967-30 sep 1972
डॉक्टर नागेंद्र सिंह, 1oct 1972- 6 feb 1973
टी स्वामीनाथन, 7 Feb 1973-Jun 1982
एस एल शकधर, 18 jun 1977-17 Jun 1982
आरके त्रिवेदी, 18 jun 1982- 31 Dec 1985
आरवीएस शास्त्री, 1jan 1986-25 nav 1990
वीएस रमादेवी, 26nov 1990- 11 dec 1990
टीएन शेषन, 12 dec 1990- 11 dec 1996
डॉ एमएस गिल, 12 dec 1996- 13 Jun 2001
जेएम लिंगदोह, 14 jun 2001-7 Feb 2004
टीएस कृष्णमूर्ति, 8 feb 2004- 15 may 2005
बीबी टंडन, 16 may 2005- 29 Jun 2006
एन गोपालस्वामी, 30 jun 2006- 20 apr 2009
नवीन चावला, 21 अप्रैल2009-29 जुलाई 2010
शहाबुद्दीन याकूब कुरैशी , 30 jul 2010- 10 Jun 2012
वीएस संपत,11 jun 2012-15 Jan 2015
एच एस ब्रम्हा, 16 jan 2015- 18 apr 2015
डॉ नसीम जैदी, 19 apr 2015- 5 jul 2017
अचल कुमार ज्योति, 6 jul 2017-22 Jan 2018
ओम प्रकाश रावत, 23 jan 2018- 1 dec 2018
सुनील अरोड़ा, 2 dec 2018- 12 apr 2021
सुशील चंद्रा, 13 apr 2021- 14 may 2022
राजीव कुमार , 15 may 2022- अभी तक