No Confidence Motion: क्‍या होता है अविश्वास प्रस्‍ताव? पहली बार कब आया! जानें NDA और 'INDIA' से कौन है शामिल

Parliament Monsoon Session 2023: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान गौरव गोगोई ने कहा PM को यह स्वीकार करना होगा कि मणिपुर मुद्दे पर उनकी डबल इंजन वाली सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है।
No Confidence Motion
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा में आज (8 अगस्त) को विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो चुकी है। चर्चा के दौरान विपक्ष मणिपुर मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर है। चर्चा के दौरान कांग्रेस की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे पहले सांसद गौरव गोगोई ने मोर्चा संभाला। हालांकि इससे पहले ऐसी खबरें थी कि चर्चा की शुरूआत राहुल गांधी करेंगे। लेकिन, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अपने अविश्वास प्रस्ताव के शुरुआती 35 मिनट की स्पीच में मणिपुर से लेकर विदेश नीति तक सरकार पर खूब हमला बोला।

गौरव गोगोई बोला सरकार पर हमला

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना होगा कि मणिपुर मुद्दे पर उनकी डबल इंजन वाली सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है। इसीलिए, मणिपुर में 150 लोगों की मौत हुई। लगभग 5000 घर जला दिए गए, लगभग 60,000 लोग राहत शिविरों में हैं और लगभग 6500 FIR दर्ज की गई हैं। ऐसे समय में जब मुख्यमंत्री को बातचीत का माहौल बनाना चाहिए था। तब उनके द्वारा उठाए गए कदमों से समाज में तनाव बढ़ा है।

निशिकांत दुबे ने दिया विपक्ष के सवालों का जवाब

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि हमें लगा था कि राहुल गांधी चर्चा की शुरुआत करेंगे लेकिन लगता है वो बोलने के लिए तैयारी करके नहीं आए है। निशिकांत दुबे ने कहा मैं मणिपुर के इतिहास का मुक्तभोगी हूं। मेरे मामा पर मणिपुर में अटैक हुआ था। मेरे रिश्तेदार जो सुरक्षाबल में उच्च पद पर थे, वह उग्रवादी हमले में अपना पैर गंवा दिया था।

अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष से ये नेता होंगे शामिल

विपक्ष का सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी गठबंधन के कई सदस्यों ने चर्चा में शामिल होने के लिए अपना नाम दिया है। चर्चा की शुरूआत कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने की। इनके साथ चर्चा में राहुल गांधी (कांग्रेस), मनीष तिवारी (कांग्रेस), अधीर रंजन चौधरी (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (NCP), काकोली सेन (TMC), सौगत रॉय (TMC),कनिमोई (DMK) शामिल हो रहे हैं।

बीजेपी की तरफ से बोलेंगे ये 15 नेता

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा की तरफ से 15 नेताओं ने चर्चा में शामिल होने के लिए अपना नाम दिया है। जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, किरण रिजिजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया, स्मृति ईरानी, लॉकेट चटर्जी, बांडी संजय, राजदीप रॉय, रामकृपाल यादव, विजय बघेल, रमेश बिधूड़ी, सुनीता दुग्गल, निशिकांत दुबे, हीना गावित, राज्यवर्धन राठौर शामिल हो रहें है।

अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है

आपको अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। लेकिन दो बार ही विपक्ष को इसमें सफलता मिली है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल एक बार जुलाई 2018 में आया था। इस प्रस्ताव के बाद सदन में 11 घंटे तक बहस चली थी। इसके बाद वोटिंग हुई थी और मोदी सरकार ने आसानी से अपना बहुमत साबित कर दिया था। हम यहां आपको बताने जा रहे है कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है और इसका इतिहास क्या है?

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

जब लोकसभा में विपक्ष के किसी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है, तो वह सदन के पटल पर अविश्वास प्रस्ताव ले कर आती है। इसे अंग्रेजी में नो कॉन्फिडेंस मोशन कहते हैं। संविधान के आर्टिकल-75 में इसका उल्लेख किया गया है। आर्टिकल-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। लेकिन जब तक सरकार को लोकसभा में आधे से अधिक सांसदों का समर्थन हासिल है, तब तक सरकार को कोई खतरा नहीं होता है।

इंदिरा गांधी के खिलाफ अब तक सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव

लोकसभा में अब तक सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ लाए गए हैं। उनकी सरकार के खिलाफ कुल 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे। वहीं दूसरे नम्बर पर लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव की सरकार थी। जिसके खिलाफ भी तीन-तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे। वहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसके अलावा राजीव गांधी, वी.पी सिंह, चौधरी चरण सिंह, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकार भी एक-एक बार इसका सामना कर चुकी है।

1963 में आया था पहला अविश्वास प्रस्ताव

लोकसभा में पहली बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 1963 में समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी द्वारा पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ लया गया था। यह अविश्वास प्रस्ताव 347 वोटों से गिर गया था, और नेहरू सरकार सत्ता पर बरकरार रही थी। आपको बता दें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ रखे गए इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े जबकि विरोध में 347 वोट।

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