नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी चुनाव चिह्न विवाद पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए अजित पवार गुट को बड़े विज्ञापन जारी करने की सलाह दी है। कोर्ट ने पहले भी विज्ञापन प्रकाशित करवाने के निर्देश दिए थे लेकिन कोर्ट ने कहा कि विज्ञापन फ्रंट में नहीं बल्कि एक कोने में छापे गए हैं। कोर्ट ने अजित पवार गुट पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाने से इनकार कर दिया।
सिंबल का आवंटन कोर्ट में विचाराधीन
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हमारे आदेश देने का उद्देश्य यह सार्वजनिक करना था कि सिंबल का आवंटन कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए शरद पवार गुट इसे अस्थायी रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं। अजित पवार गुट के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आपके आदेश के मुताबिक हमने मराठी, हिंदी और अन्य भाषाओं में विज्ञापन जारी किए हैं।
घड़ी चुनाव चिह्न भविष्य में किसका?
शरद पवार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अजित पवार ग्रुप के कई विज्ञापनों के जरिए बताने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट में भरोसा देने के बाद भी अजित गुट के लोग सिंबल का इस्तेमाल बिना इस डिस्क्लेमर के करते रहे कि यह घड़ी का चिह्न सुप्रीम कोर्ट में विवाद का विषय है। इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय देगा कि यह घड़ी चुनाव चिह्न भविष्य में किसका होगा।
कोर्ट का अजित पवार गुट पर अवमानना का केस चलाने से इनकार
कोर्ट ने कहा कि विज्ञापन फ्रंट में नहीं छापे गए हैं बल्कि विज्ञापन एक कोने में छापे गए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हम अपने पुराने आदेश में कोई संशोधन नहीं कर रहे हैं। हमें दोनों गुटों की पार्टियों की ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं है लेकिन आप बड़े विज्ञापन जारी कर सकते हैं। कोर्ट ने अजित पवार गुट पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को अजीत पवार गुट को घड़ी चुनाव चिह्न का और शरद पवार गुट को एनसीपी-शरद चंद्र पवार के नाम और चुनाव चिह्न तुरहा फूंकते हुए आदमी के इस्तेमाल की अनुमति दी थी ।
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