UPSC Topper Story: पहले पिता को खोया फिर मां को, अनाथ हुए अनिमेष प्रधान ने UPSC में AIR-2 किया हासिल

New Delhi: UPSC में दूसरे नम्बर पर स्थान पाने वाले अनिमेष प्रधान ने अपनी मुंह-जवानी अपना दुख बताया। उन्होंने अपनी मां का सपना पूरा किया लेकिन तब तक उनकी मां का कैंसर की बीमारी के चलते देहांत हो गया।
Animesh Pradhan 
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की परीक्षा को पास करना हर किसी की बात नहीं है। उड़ीसा के रहने वाले अनिमेष प्रधान ने 22 साल की छोटी उम्र में कर दिखाया। अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए अनिमेष ने पहले ही प्रयास में एग्जाम क्रैक किया। अफसोस उनकी मां का कैंसर के कारण देहांत हो गया।

मां का सपना पूरा करने के लिए बने IAS

अनिमेष प्रधान ने न केवल UPSC की परीक्षा को पास किया इसके अलावा उन्होंने देश में AIR-2 हासिल किया। पहले ही प्रयास में उन्होंने UPSC की कठिन परीक्षा को 22 साल की उम्र में पास करके समाज में एक एग्जामपल स्थापित कर दिया। अनिमेष पहले ही UPSC की परीक्षा को पास करना चाहते थे क्योंकि वे अपनी मां का सपना पूरा करना चाहते थे। लेकिन उससे पहले ही जनवरी के महीने में उनकी मां का कैंसर के चलते देहांत हो गया। अनिमेष प्रधान ने इंडियन एक्सप्रैस को दिए गए इंटरवियू में बताया कि जब उन्हें पता चला कि उन्होंने UPSC का एग्जाम क्रैक कर दिया है ये बात वो अपनी मां को बताना चाहते थे लेकिन उनकी मां इस दुनिया से विदा हो चुकी हैं। जल्द ही अनिमेष प्रधान IAS का पद संभालेंगे। उन्होंने कहा कि वह उड़ीसा कैडर को चुनना पसंद करेंगे।

मां-बाप को खोया फिर भी की लगातार मेहनत

अनिमेष प्रधान उड़ीसा से हैं। इनके पिता प्रभाकर प्रधान, अंगुल जिले के तालचेर के कोलियरी शहर के एक कॉलेज में प्रिंसिपल थे। 7 साल पहले उनके पिता का देहांत हो गया। किसी तरह उन्होंने अपनी मां को और खुद को संभाला और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। अपने पिता को खोने के गम से वे निकले ही थे कि उनकी मां का भी देहांत हो गया। छोटी-सी उम्र में उन्होंने अपने मां-बाप को खो दिया। अनिमेष बिल्कुल अनाथ हो गए थे। इस दौरान उन्होंने मानसिक समस्याओं से जुझकर UPSC की परीक्षा भी दी और पास भी हुए। कक्षा 12वीं में उन्होंने 98.08% अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने नेशनल इंफॉरमेशन टैक्नोलॉजी (NIT), राउरकेला से B.Tech किया। उसके बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरु की। इसके लिए वे दिल्ली आ गए। वे रोज़ 6-7 घंटे पढ़ाई करते थे। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने अपनी मां का सपना पूरा किया।

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