नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा चुनाव को कुछ की समय बचा है। ऐसे समय में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही महत्वपूर्ण आदेश दिया है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे समय में इस तरह करना अराजकता पैदा करना होगा। वहीं कोर्ट ने नव नियुक्त चुनाव आयुक्तों को लेकर कहा है कि दोनों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू के खिलाफ किसी तरह के कोई आरोप नहीं है। दोनों नव नियुक्त चुनाव आयुक्तों का चयन नए कानून के तहत चयन पैनल में बदलाव के बाद हुआ। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है।
सुविधा का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है
याचिकाकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए जजों ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि केंद्र द्वारा बनाया कानून गलत है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा की इस कानून के तहत जिन लोगो को नियुक्त किया गया है उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है। सुविधा का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है।
इस समिति में अब पीएम, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता शामिल हैं
नए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों को चुनने वाली समिति में भारत के CJI( मुख्य न्यायाधीश) की जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया। इस समिति में अब पीएम, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता शामिल हैं, जो इसकी निष्पक्षता पर चिंता जता रहे हैं। पिछले हफ्ते ही ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को नए कानून के तहत चुने जाने के बाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया था कि उन्हें एक रात पहले जांच के लिए 212 नाम दिए गए थे, वहीं बैठक से ठीक पहले छह नामों की एक शॉर्टलिस्ट दी गई थी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को इस समिति में होना चाहिए था।
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