सुप्रीम कोर्ट का समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार, तारीखों के आईने में देखें पूरी कानूनी लड़ाई की कहानी

Same Sex Marriage Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने बहुप्रतीक्षित फैसले में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। यह कानूनी लड़ाई लम्बे समय तक देश की सबसे बड़ी अदालत में चली है।
Same Sex Marriage Verdict
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने बहुप्रतीक्षित फैसले में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद के पास है। यह कानूनी लड़ाई लम्बे समय तक देश की सबसे बड़ी अदालत में चली, इसलिए इस पर डालते हैं एक नजर...

तारीखों के आईने में समलैंगिक विवाह की कानूनी लड़ाई

11 मई 2023: सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिन की सुनवाई के बाद समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा।

18 अप्रैल 2023: समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू।

24 मार्च 2023: समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिकाओं का विरोध किया गया। हाई कोर्ट के 21 रिटायर्ड जजों ने खुला खत लिखा। उन्होंने कहा कि इसकी मान्यता भारतीय वैवाहिक परंपराओं के लिए खतरा है। कई धार्मिक संगठनों ने भी इसका विरोध किया।

13 मार्च 2023: सीजेआई की तीन जजों की पीठ ने मामला पांच जजों की पीठ में भेजा।

12 मार्च 2023: केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं का विरोध किया।

06 जनवरी 2023: हाई कोर्ट में इससे जुड़ी सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की गईं।

नवंबर-दिसंबर, 2022: समलैंगिक विवाह को मान्यता के लिए 20 और याचिकाएं दायर की गईं।

नवंबर, 2022: समलैंगिक जोड़े ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई।

वर्ष 2020-21: दिल्ली में समलैंगिक विवाह के अधिकार के लिए सात याचिका दायर की गईं।

सितंबर, 2020: समलैंगिक विवाह के अधिकार के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। हाई कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब।

जनवरी, 2020: समलैंगिक विवाह के अधिकार के लिए केरल हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल।

अक्टूबर, 2018: केरल हाई कोर्ट ने लेस्बियन जोड़े को लिव इन में रहने की इजाजत दी।

सितंबर, 2018: समलैंगिक विवाह का मामला नवतेज सिंह बनाम भारत सरकार हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया।

अगस्त, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना।

अप्रैल 2014: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को तीसरे जेंडर के तौर पर पहचान दी।

दिसंबर 2013: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा।

जुलाई 2009: दिल्ली हाई कोर्ट ने समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किया।

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