Gyanvapi Case: पूजा अनुमति के खिलाफ SC ने याचिका की खारिज, इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष

New Delhi: जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा की इजाजत दी। बुधवार को हिंदू पक्ष ने पूजा अर्चान की। इस बात को लेकर मुस्लिम पक्ष ने SC के की ओर रुख किया।
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नई दिल्ली, हि.स.। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने में पूजा करने की अनुमति देने के वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर याचिकाकर्ता मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है। जिला कोर्ट से आए फैसले के बाद हिंदू पक्ष ने 9 घंटे बाद बुधवार की रात को पूजा-पाठ की। मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज याचिका दर्ज की है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने गुरुवार सुबह अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के प्रबंधन कमेटी के वकील फुजैल अहमद अय्यूबी को फोन कर यह सूचना दी। मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने वाराणसी कोर्ट के फैसले को 31 जनवरी को ही चुनौती देते हुए तत्काल सुनवाई करने की मांग की थी। जिसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने रजिस्ट्रार के जरिए मस्जिद कमेटी के वकील को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है।

मस्जिद कमेटी ने दी प्रतिक्रिया

मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश को लागू करने में जिला प्रशासन जल्दबाजी दिखा रहा है और वह रात में ही पूजा करवाना चाहता है। प्रशासन रात में पूजा इसलिए करवाना चाहता है, क्योंकि कानूनी चुनौती से बचा जा सके।

हिंदू पक्ष ने की थी पूजा करने की मांग

वादी शैलेंद्र व्यास ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके नाना सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में नियमित पूजा-पाठ करता था। वर्ष 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद हो गई। वर्तमान में यह तहखाना अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। तहखाने को डीएम की निगरानी में सौंपने के साथ वहां दोबारा पूजा शुरू करने की अनुमति दी जाए।

सपा सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजा-पाठ बंद

गौरतलब है कि वादी शैलेन्द्र पाठक के परिजन वर्ष 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ करते थे। 1993 के बाद तत्कालीन सपा सरकार के आदेश पर ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ बंद हो गई। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के वकीलों ने अदालत को जानकारी दी थी कि 1993 तक भूखंड आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी) में मौजूद देवी-देवताओं का नियमित पूजा-पाठ होता था। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वंस के बाद 1993 में यहां पहले बांस-बल्ली और उसके बाद लोहे की ऊंची बैरिकेडिंग करा दी गई।

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