रेमडेसिविर बेचने के मामले में पुलिस ने दाखिल किया आरोप पत्र

नकली रेमडेसिविर बेचने के मामले में पुलिस ने दाखिल किया आरोप पत्र
नकली रेमडेसिविर बेचने के मामले में पुलिस ने दाखिल किया आरोप पत्र

नई दिल्ली, 8 जुलाई (हि.स.) । कोविड महामारी के दौरान नकली रेमडेसिविर सप्लाई करने वाले सभी 10 आरोपित अभी तक जेल में बंद हैं। दूसरी तरफ क्राइम ब्रांच ने इनके पूरे गोरखधंधे को लेकर कोर्ट के समक्ष आरोप पत्र दायर कर दिया है। आरोप पत्र में बताया गया है कि किस तरीके से टाइफाइड की दवा को वह रेमडेसिविर बताकर लाखों रुपये कमा रहे थे।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि बीते अप्रैल महीने में उत्तराखंड के कोटद्वार से नकली रेमडेसिविर दवा बनाने वाली एक फैक्ट्री का पर्दाफाश अपराध शाखा ने किया था।

इस मामले में कुल दस आरोपितों की गिरफ्तारी की गई थी। गैंग से जुड़े सभी आरोपित नकली रेमडेसिविर की कालाबाजारी में अलग-अलग भूमिका निभा रहे थे। मोटा मुनाफा कमाने के लिए वह नकली दवा तैयार कर लोगों को 25 से 40 हजार रुपये में एक डोज दे रहे थे। इनमें गिरफ्तार की गई महिला खुद कोरोना से पीड़ित थी। इसी दैरान वह इस गैंग के संपर्क में आई और कालाबाजारी से जुड़ गई। किस तरह से यह गैंग बना और लोगों की जान से खिलवाड़ करने लगा, इसकी जानकारी आरोपपत्र में दी गई है।

इन लोगों को किया था गिरफ्तार

अपराध शाखा की टीम ने सबसे पहले बीते 23 अप्रैल को बत्रा अस्पताल के पास से मोहम्मद शोएब खान और मोहन कुमार झा को रेमडेसिविर इंजेक्शन की 10 डोज के साथ गिरफ्तार किया था। वह मरीज के परिजनों को 25 से 40 हजार रुपये में यह इंजेक्शन दे रहे थे। उनकी निशानदेही पर 25 अप्रैल को यमुना विहार से मनीष गोयल और पुष्कर चंद्रकांत को 12 रेमिडिसीवीर इंजेक्शन के साथ पकड़ा गया। 26 अप्रैल को इनकी निशानदेही पर साधना शर्मा को 160 नकली रेमडेसिविर के साथ गिरफ्तार किया गया। 27 अप्रैल को अपराध शाखा की टीम ने हरिद्वार से वतन कुमार सैनी को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर फार्मेसी का काम करने वाले आदित्य गौतम को रुड़की से गिरफ्तार किया गया, जो पूरे रैकेट का सरगना है।

यह है आरोपितों की प्रोफाइल

गिरफ्तार किया गया मोहम्मद शोएब खान गांधी नगर का रहने वाला है। वह सातवीं कक्षा तक पढ़ा है। वह पहले एक कंपनी में काम करता था। 2020 में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद मास्क और ग्लव्स बेचने लगा था। वह रेमडेसिविर के लिए ग्राहक तलाश कर उन्हें दवा सप्लाई करता था। गिरफ्तार मोहन कुमार झा फरीदाबाद का रहने वाला है। वह एक गारमेंट्स एक्सपोर्ट कंपनी में काम करता था।

बीते वर्ष लॉक डाउन में उसकी नौकरी चली गई थी जिसके बाद वह मास्क और ग्लव्स सप्लाई करने लगा। कुछ माह पहले शोएब से उसकी मुलाकात हुई और उसके साथ मिलकर वह इन नकली दवाओं को बेचने लगा। मनीष गोयल राजेंद्र नगर का रहने वाला है। वह पहले मोहन नगर के एक अस्पताल के लिए मार्केटिंग करता था। फरवरी 2021 से वह मेडिकल सामान किराए पर देने लगा। उसने मेडिकल फैसिलिटी के लिए एक विज्ञापन दिया था जिसके लिए मोहन झा उससे मिला। इसके बाद वह मिलकर नकली दवा का काम करने लगे।

गिरफ्तार किया गया पुष्कर महाराष्ट्र का रहने वाला है। वह एमबीए की पढ़ाई कर चुका है। वह आयुर्वेद सामान बेचता था। रेमिडिसीवीर इंजेक्शन की बाजार में बढ़ रही मांग के दौरान वह अरुण शर्मा, विनय पाठक और वतन सैनी के संपर्क में आया और इन दवाओं की कालाबाजारी करने लगा। महिला आरोपित साधना शर्मा इंटीरियर डिजाइनर है। इसके अलावा ट्रेड फेयर में वह इवेंट मैनेजर भी रही है। कुछ समय पहले कोरोना से संक्रमित होने पर उसे रेमिडिसीवीर की आवश्यकता हुई थी।

इस दौरान वह वतन सैनी के संपर्क में आई और दूसरों के लिए यह नकली दवा सप्लाई करने लगी। इसके लिए उसने आगे एजेंट बना रखे थे जो मरीज के परिजनों को दवा देते थे। गिरफ्तार आरोपित वतन सैनी हरिद्वार का रहने वाला है। वह बी। फार्मा और एमबीए कर चुका है। वह पहले एक कंपनी में मैन्युफैक्चर केमिस्ट का काम कर चुका है। इसके अलावा वह कई दवा कंपनियों में काम कर चुका है। 2015 में उसने अपनी कंपनी खोली थी। वह आदित्य गौतम के साथ मिलकर नकली दवा सप्लाई कर रहा था।

मुख्य आरोपित आदित्य गौतम इस पूरे गैंग का सरगना है। वह हरिद्वार का रहने वाला है। बीकॉम करने के अलावा उसने एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में अकाउंट एग्जीक्यूटिव की नौकरी शुरू की थी। उसने एक दवा कंपनी को लीज पर लिया था जिसे अप्रैल 2019 में उसने छोड़ दिया। मई 2019 में उसने एक अन्य कंपनी को लीज पर लिया था और फिलहाल उसे ही चला रहा था।

आरोपपत्र में बताया गया है कि मुख्य आरोपित आदित्य गौतम ने दवा तैयार करने वाली कंपनी लीज पर ले रखी थी। रेमिडिसीवीर की मांग को देखते हुए उसने 2000 एंटीबायोटिक इंजेक्शन खरीदे थे जिसकी पैकिंग रेमिडिसीवीर से मिलती-जुलती थी। इनके लेवल को उसने कोटद्वार में बदला और उन्हें रेमडेसिविर बताकर अपने एजेंट के माध्यम से बेचा। छापेमारी के दौरान उसके पास से 16 नकली इंजेक्शन बरामद किए गए थे। पकड़े जाने तक वह दो हजार से ज्यादा मरीजों के लिए यह नकली दवा की डोज दे चुके थे।

हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी

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