नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा में आज केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पेपरलीक बिल पेश किया है। इस बिल में परिक्षाओं के दौरान होने वाली नकल पर रोक लगाने से जुड़े प्रावधान हैं। संसद भवन में आज पेपर लीक बिल को पूरा समर्थन मिला। पहले पेपर लीक होने पर FIR दर्ज कराने के बाद भी अपराधी को 72 घंटे के अंदर जमानत मिल जाती थी। पेपर लीक की कई घटनाओं में कार्यवाई के नाम पर ज़ीरो ऐक्शन लिया जाता था। अब इन नियमों पर केंद्र सरकार का डंडा चलेगा।
पेपरलीक का मुद्दा
राजस्थान में पिछले साल विधानसभा चुनाव के अलावा सबसे बड़ा मुद्दा पेपरलीक का था। पेपरलीक में 2023 में भजनलाल सरकार की पेपर लीक रिपोर्ट के अनुसार 23 से अधिक मामले दर्ज हुए। राजस्थान के अलावा देश के अन्य राज्य मध्य-प्रदेश, बिहार और उत्तर-प्रदेश से भी कई पेपर लीक के मामले सामने आए। जिनमें राजस्थान टॉप पर रहा।
क्या है पेपर बिल?
लोकसभा में आज पेश हुए पेपर बिल का संबंध परीक्षों में नकल और धांधली से है। अब परीक्षाओं में नकल नहींं अकल चलानी पड़ेगी।
1. अब जो योग्य होगा वही नौकरी का हकदार होगा। न भाई-भतीजावाद, न नकल अब सिर्फ अकल।
2. पेपरलीक मामले में अगर कोई अपराधी साबित होता है तो उसे 10 साल की सजा और 1 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा।
3. वहीं दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में दोषी पाए जाने पर 3 से 5 साल की जेल होगी और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
4. वहीं अगर पेपर लीक और नकल के मामले में कोई भी संस्थान शामिल होता पाया गया, तो उससे परीक्षा का पूरा खर्च वसूला जाएगा और उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आयोजित यूपीएससी, एसएससी, रेलवे, बैंकिंग, नीट- मेडिकल एवं इंजीनियरिंग समेत विभिन्न परीक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी पेपर लीक पर चिंता जताई गई थी। पेपर लीक होने या नकल की वजह से लाखों परीक्षार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
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