Monsoon Session 2023: मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास, यहां जानिए अविश्वास प्रस्ताव का पूरा इतिहास

No Confidence Motion: मॉनसून सत्र के दौरान आज बुधवार को संसद में विपक्ष द्वरा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया गया। अब तक लोकसभा में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है...
No Confidence Motion
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के साथ ही विपक्ष के हंगामे की भेट चढ़ रहा है। संसद के मॉनसून सत्र का आज 5वां दिन है। सत्र के दौरान आज भी संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भारी गतिरोध देखने को मिला। दरअसल विपक्ष मणिपुर मुद्दे प्रधानमंत्री मोदी के सदन में बयान और विस्तृत चर्चा की मांग कर रहा है। हालांकि सरकार में गृहमंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत कई नेता बार-बार सदन में इस मुद्दे पर खुलकर बहस करने की बात कह रहे हैं लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं है। वह चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इस पर जवाब दें।

विपक्षी पार्टियों के पास नही है आंकड़ा

यही वजह है कि विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लुसिव अलायंस (INDIA) की तरफ से कांग्रेस ने बुधवार को संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया गया। फिलहाल लोकसभा स्पीकर ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। लोकसभा स्पीकर ने कहा है कि इस पर चर्चा के लिए वक्त और तारीख को बाद में तय किया जाएगा। लेकिन मोदी सरकार के पस सदन में बहुमत का अकड़ा है। ऐसे में ये साफ है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सफल नही हो सकता।

अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है

आपको अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। लेकिन दो बार ही विपक्ष को इसमें सफलता मिली है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव केवल एक बार जुलाई 2018 में आया था। इस प्रस्ताव के बाद सदन में 11 घंटे तक बहस चली थी। इसके बाद वोटिंग हुई थी और मोदी सरकार ने आसानी से अपना बहुमत साबित कर दिया था। हम यहां आपको बताने जा रहे है कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है और इसका इतिहास क्या है?

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

जब लोकसभा में विपक्ष के किसी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है, तो वह सदन के पटल पर अविश्वास प्रस्ताव ले कर आती है। इसे अंग्रेजी में नो कॉन्फिडेंस मोशन कहते हैं। संविधान के आर्टिकल-75 में इसका उल्लेख किया गया है। आर्टिकल-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। लेकिन जब तक सरकार को लोकसभा में आधे से अधिक सांसदों का समर्थन हासिल है, तब तक सरकार को कोई खतरा नहीं होता है।

अविश्वास प्रस्ताव कैसे लाया जाता है?

लोकसभा के कानूनी नियमों में अविश्वास प्रस्ताव की बड़ी अहमियत है। लोकसभा के नियम 198(1) से 198(5) में स्पष्ट तौर पर अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख है। हम यहां आपको अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी प्रक्रिया हम यहां बता रहे हैं –

  • नियम 198(1)(क): इस नियम के तहत जो सदस्य अविश्वास लाना चाहता है वो स्पीकर के बुलाने पर सदन से अनुमति मांगता है।

  • नियम 198 (1) (ख): में कहा गया है कि अविश्वास प्रस्ताव की मांग करने वाले विपक्षी सदस्यों को प्रस्ताव के दिन सुबह 10 बजे तक लोकसभा के सेक्रेटरी-जनरल को औपचारिक नोटिस देना होगा। अगर वह 10 बजे तक नोटिस नहीं देते हैं तो उन्हें अगले दिन 10 बजे तक अपना प्रस्ताव जमा करना होगा।

  • नियम 198(2): अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए, वरना स्पीकर इसकी अनुमति नहीं देते।

  • नियम 198 (2) के तहत अगर लोकसभा अध्यक्ष को यह लगता है कि प्रस्ताव सही है, वह प्रस्ताव पढ़ने के बाद प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले सदस्यों को अपने स्थान पर खड़े होने को कहते हैं।

  • नियम 198(3): में कहा गया है कि अनुमति मिलने के बाद, लोकसभा अध्यक्ष प्रस्ताव पर चर्चा के लिए दिन का कोई एक हिस्सा, पूरा दिन या कुछ दिनों की अनुमति दे सकते हैं।

  • नियम 198(4): अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के अंतिम दिन स्पीकर वोटिंग कराते हैं और फैसले की घोषणा करते हैं। और अगर सदन में अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।

  • नियम 198 (5): के अनुसार अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल होने वाले नेताओं के लिए समय-सीमा निर्धारित कर सकते हैं।

राज्यसभा के सांसद नहीं कर सकते वोटिंग

जब सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो सत्ताधारी पार्टी को साबित करना होता है कि उनके पास बहुमत है। इसमें वोटिंग के लिये केवल लोकसभा के सांसद ही पात्र होते हैं, राज्यसभा के सांसद वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होने पर सरकार अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर सकती है, जिसके बाद समर्थन न करने वाले सांसद को अयोग्य माना जा सकता है।

मोदी सरकार के खिलाफ जुलाई 2018 आ चुका है अविश्वास प्रस्ताव

इससे पहले जुलाई 2018 में विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जो बुरी तरह फेल रहा था। अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि प्रस्ताव के खिलाफ 325 सांसदों ने वोट किया था। जुलाई 2018 से पहले 2003 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार के खिलाफ पेश किया था।

कब आया लोकसभा में पहला अविश्वास प्रस्ताव?

लोकसभा में पहली बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 1963 में समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी द्वारा पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ लया गया था। यह अविश्वास प्रस्ताव 347 वोटों से गिर गया था, और नेहरू सरकार सत्ता पर बरकरार रही थी। आपको बता दें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ रखे गए इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े जबकि विरोध में 347 वोट।

सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ

लोकसभा में अब तक सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ लाए गए हैं। उनकी सरकार के खिलाफ कुल 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे। वहीं दूसरे नम्बर पर लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव की सरकार थी। जिसके खिलाफ भी तीन-तीन बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे। वहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसके अलावा राजीव गांधी, वी.पी सिंह, चौधरी चरण सिंह, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकार भी एक-एक बार इसका सामना कर चुकी है।

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